प्रश्नों का खेल

खेल-खेल में प्रश्न पूछें,
खेल में ढूँढें हल।
फिर प्रकरण को उससे जोड़ें,
बिन खोये एक पल।।

प्रश्नवाचक वाक्य हो जब,
उनकी यही पहचान।
"क्या", "कहाँ", "कौन", "किसका", "कितना",
"कब", "किधर" का बढ़ता मान।।

 प्रश्नों में "क्यों" तब रहता,
 जब कारण पूछा जाए।
 गहराई से सोचोगे तो,
 कठिन सरल बन जाए।।

 मत घबराओ जब पूछा जाए,
 "कैसे" वाले प्रश्न।
 बस बता दो प्रक्रिया बच्चों,
 फिर मनाओ जश्न।।

प्रश्न में जब भी "यदि" या "अगर" रहे,
तो तुम बिल्कुल न डरना।
 कल्पना के पंख पे बैठे,
 उचित उड़ान तब भरना।।

 देखा बच्चों, प्रश्नों का खेल,
 खेल-खेल में हो गया मेल।
 ज्ञान बढ़ा और समझ बढ़ी,
 सृजन शक्ति की नींव पड़ी।।

 आओ तब हम सब यह खेलें,
 सरल कठिन प्रश्नों को झेलें।
 प्रश्नों को प्रकरण से जोड़ें,
 हल करना हम कभी न छोड़ें।।

रचयिता
कमलेश कुमार पांडेय,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय रमईपट्टी,
विकास खण्ड-पिण्डरा,
जनपद-वाराणसी।
मोबाइल नंबर-9335772467
व्हाट्सएप्प नंबर-7887251132

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