बच्चे को पढ़ाया जाए

घर से मंदिर  है बहुत दूर, चलो  यूँ कर लें   किसी शैतान  से बच्चे को पढ़ाया  जाए।

सबको  एक साथ लेके  चलना, जरा  मुश्किल  है, कक्षा को अधिगम समूहों  में  बाँटा जाए।

ऐसे  तो हर समूह  का एक लीडर  हो, ख़ुद को लीडरों  का एक लीडर बनाया जाए।

जिस बच्चे को है दर्द  उसे दर्द की दवा  दीजे, क्यों  बुखार  का उसे भी काढ़ा  पिलाया  जाए।

हर बच्चा है यूनिक, समझ लीजे  अभी, क्यों सभी को ही गणितज्ञ  बनाया जाए।

कुछ काम T.L.M. भी पूरे कर ही देगा, क्यों न कक्षा में इसे   जम के लगाया  जाए।

ये डगर  बड़ी मुश्किल है, कठिन है साथी, क्यों न कुछ अपने नवाचार कराया  जाए।

बच्चा जब  माँ की  छाँव में हो तो नहीं डरता  है, बच्चों की माँ बन के दिखाया  जाए।

 हर बच्चे की एक समझदारी  एक उम्मीद  है लता, चलो पढ़ने  की एक ललक  को जगाया  जाए।

रचयिता
सुमन लता मौर्या,
प्राथमिक विद्यालय जोलहापुर,
विकास खण्ड-बिलरियागंज,
जनपद-आजमगढ़।

Comments

  1. बच्चों के लिए शैतान शब्द उचित है क्या??
    नटखट भी हो सकता है।
    माना कि बच्चे शैतानी करते हैं लेकिन उन्हें शैतान की संज्ञा देना उचित नहीं लगता है।

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