अभिमान है हिंदी

मेरे लिए तो प्रेम और अभिमान है हिंदी,
और हिंदुस्तान की ये शान है हिंदी।

ये हिंदी है कि जिससे हमने बोलना सीखा,
ये हिंदी है कि जिससे हमने सोचना सीखा।
अपने राष्ट्र गौरव के लिए वरदान है हिंदी।
मेरे लिए तो प्रेम और अभिमान है हिंदी

ये हिंदी है कि जिसने स्वर्णिम आदर्श दिया है,
ये हिंदी है कि जिसने मधुर विमर्श दिया है
गंगा-जमुनी तहजीब का अरमान है हिंदी।
मेरे लिए तो प्रेम और अभिमान है हिंदी।

ये नवयुग की निर्मात्री भाग्य विधात्री है,
ऋषि-मुनियों के सरस वरदान की दात्री है 
गढ़ रही है ये नित्य नव  प्रतिमान है हिंदी।

मेरे लिए तो प्रेम और अभिमान है हिंदी
और हिन्दुस्तान की ये शान है हिंदी।
     
रचयिता
डॉ0 प्रवीणा दीक्षित,
हिन्दी शिक्षिका,
के.जी.बी.वी. नगर क्षेत्र,
जनपद-कासगंज।

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