निराला वतन

अपना यह वतन बड़ा निराला है।
जिसकी शान बहुत आला है ।।
   तिरंगे का मान कभी झुकने न देंगे।
  देश की कमान अपने हाथों में रखेंगे।
यहाँ हर खुशियों का प्याला है।
अपना यह वतन बड़ा निराला है।।
    आतंकवाद को खुद हम मिटायेंगे।
    फौलादी इरादों से शत्रु भाग जायेंगे।
एकता की ताकत को हमें संजोना है।
भारत माता की गोद में ही सोना है।।
    लड़े हम डटकर जब संकट आया है।
    अपना यह वतन बड़ा निराला है।।
ईश्वर से हमारी यही विनती होगा।
आयें यहाँ फिर जब जन्म होगा।।
   दुनिया में सम्मान को नहीं खोना।
    यहाँ की मिट्टी उगलती है सोना।।
पूरे विश्व की यह पाठशाला है।
अपना यह वतन बड़ा निराला है।।
    यहाँ की खेतों में दिखे हरियाली।
    गूँजती है कोयल की कूक हर डाली।।
हम कई रंगों के फूलों की माला हैं।
अपना यह वतन बड़ा निराला है ।।
     आजाद हैं हम आजाद ही रहेंगे।
     आँख दिखाये दुश्मन को बर्बाद कर देंगे।।
विश्व मंच पर इसे आगे बढ़ाना है।
आतंकियों को आतंक से डराना है।।
     हम तो बुने हुए मकड़े के जाला हैं।
    अपना यह वतन बड़ा निराला है।।
       
रचयिता
रवीन्द्र शर्मा,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बसवार,
विकास क्षेत्र-परतावल,
जनपद-महराजगंज,उ०प्र०।

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