गुरु महिमा

गुरु अगर न होते तो जग में राहें चुनना मुश्किल था
गुरु न होते तो अर्जुन का अर्जुन बनना मुश्किल था
गुरु के जैसा शुभचिंतक और न कोई दूजा है
गुरवर के पावन चरणों को ईश्वर ने भी पूजा है
शास्त्रों ने महिमा गायी है वेदों ने मान बढ़ाया है
गुरु ने हरदम इस दुनिया को सच्चा मार्ग दिखाया है
गुरुकृपा से ही नरेंद्र ने दुनिया का रग-रग जीत लिया
गुरु से ही बना सिकंदर जिसने ये जग जीत लिया
गुरु के बूते ही लोगों के गौरवशाली इतिहास हुए
गुरु से ही शिक्षा पायी तो अनपढ़ भी कालीदास हुए
गुरुओं की महिमा इस जग में जितना गाएँ उतना कम है
गुरु ज्ञान और नैतिकता की धार बहाता संगम है 
गुरु के त्याग और निस्वार्थ भाव को इस दुनिया का ध्यान मिले
मेरी इच्छा है गुरुओं को सदा आदर सम्मान मिले
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु बस कहने से नहीं होगा
मान रखें हम गुरुओं का तब कल्याण सही होगा
अगर गुरु का मान घटे तो वह ईश्वर से छल होगा
अगर गुरु हमसे खुश हों तो कर्मों का मीठा फल होगा 
जिस दिन हम सौगंध उठा लें सहर्ष गुरु की भक्ति का
उस दिन से ही अपना शिक्षक दिवस सफल होगा
गुरुकृपा न होती तो ये कविता सुनना भी मुश्किल था
गुरु न होते तो अर्जुन का अर्जुन बनना मुश्किल था
गुरु न होते तो अर्जुन का अर्जुन बनना मुश्किल था

रचयिता
विक्रम कुमार,
ग्राम - मनोरा,
पोस्ट-बीबीपुर,
जिला-वैशाली।
बिहार-844111
9709340990

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