मेरे शिक्षक भाई

हँसता, गाता, मुस्काता चल,
ख़ुशियों के फूल, खिलाता चल।
है चुनौतीपूर्ण जीवन तेरा,
तू सबको गले लगाता चल।

जरा अनबन किसी से होई नहीं,
फिर देखना तेरा यहाँ कोई नहीं।
प्रतिकूल परिस्थितियाँ हैं समक्ष,
तू काँटों में राह बनाता चल।

भूले बिसरों को अपनाकर,
प्रेम को हथियार बनाकर।
सबका हृदय जीत ले भैया,
और आगे कदम बढ़ाता चल।

शत्रु मित्र की पहचान तू कर ले,
शत्रुओं के दुःख भी तू हर ले।
तू सच्चा अध्यापक बनकर,
शिक्षा का दीप जलाता चल।

समझदार लोग अब कम हैं,
मगर मेरी बातों में दम है।
कोई माने या ना माने भैया,
शिक्षा का महत्व बताता चल।

हँसता, गाता, मुस्काता चल,
ख़ुशियों के फूल, खिलाता चल।

सभी अध्यापकों को समर्पित

रचयिता
प्रदीप कुमार,
सहायक अध्यापक,
जूनियर हाईस्कूल बलिया-बहापुर,
विकास खण्ड-ठाकुरद्वारा,
जनपद-मुरादाबाद।

विज्ञान सह-समन्वयक,
विकास खण्ड-ठाकुरद्वारा।

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