संवाद करें हम

जनपथ पर संवाद करें हम,
मन में मधुमय आस भरें हम।
उजले-उजले मन हों अपने,
उजले-उजले पथ के सपने।
उन सपनों में रंग भरें हम।
जन पथ पर- - -
हम हैं दीपक नव उजियारे,
देश के बच्चे सब नये सितारे।
सपने उनके साकार करें हम।
जन पथ पर- - -
नेह दीप का अगर जलेगा,
तम का सारा राज मिटेगा।
वह नव पथ निर्माण करें हम।
जन पथ पर - - -
देश का अपने अँचल-अँचल,
ज्ञान से होगा उज्जवल-उज्जवल।
आओ उद्घोष करें हम।
जन पथ पर- - -
अब सबमें जागे मधुमय आशा,
हो ज्ञानक्रांति की नव परिभाषा।
आओ यही प्रयास करें हम।
जनपथ पर संवाद करें हम।

रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला, 
जनपद -सीतापुर।

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