तिरंगा लहराए

तिरंगा लहराए-
उन्मुक्त गगन में,
जनगण मन में।
भारत भू के प्रांगण में।
देखो तिरंगा लहराए।
राष्ट्रप्रेम का भाव जगाए।
यह राष्ट्रध्वजा फहराए।

सम्मान, सुरक्षा अधिकारों का,
सुख समृद्धि बहारों का।
मानवता की सुखद फुहारों का।
निर्दिष्ट पंथ दिखलाए।
है संविधान सर्वोपरि,
तिरंगा बतलाए।
तिरंगा लहराए।

समवेत स्वरों में गाओ,
समरस भाव जगाओ।
जनविकास के पथ पर,
मिलकर बढ़ते जाओ।
जन-जन के अभिमत में,
एकात्म भाव भर जाए।
तिरंगा सिखलाए।
तिरंगा लहराए।

कर्तव्य, न्याय मानवता,
संवेदन औ सहिष्णुता।
तकनीक ज्ञान और कौशल,
समृद्धि बढ़े हर अंचल।
भारत स्वदेश अपना,
गौरव बोध जगाए।
तिरंगा हमें बताए,
तिरंगा लहराए।

संकल्प जगाकर मन में,
भाव जगाएँ जन-जन में।
भारत जनगण देश हमारा,
शाश्वत, अप्रतिम न्यारा।
संप्रभु भारत की,
यह राष्ट्रध्वजा फहराए।
सबमें भाव जगाए,
तिरंगा लहराए।
         
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला, 
जनपद -सीतापुर।

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