मकर संक्रांति त्यौहार अनोखा

मकर संक्रांति त्यौहार अनोखा,
अलग-अलग तारीख पर न होता।
हर साल 14 जनवरी को आता,
जब सूर्य उत्तरायण मकर रेखा से गुजरता।

कभी-कभी ऐसा भी होता,
एक दिन आगे या पीछे होता।
मगर ऐसा बहुत कम है होता,
मकर संक्रांति त्यौहार अनोखा।

सूर्य धनु राशि को छोड़ जब जाता,
मकर राशि में प्रवेश है करता।
पूरे भारत में मनाया जाता,
मकर संक्रांति त्यौहार अनोखा।

त्यौहार एक है मगर फिर भी,
अलग-अलग तरह से मनाया जाता।
आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में,
संक्रांति है कहलाया जाता।

तमिलनाडु में पोंगल पर्व कहलाए,
पंजाब और हरियाणा में तब,
नयी फसल के स्वागत में मनाएँ,
लोहड़ी पर्व भी कहलाये।

असम में बिहू मनाएँ,
उल्लास और शांति लाये।
ऐसा हर प्रान्त में होता,
मकर संक्रांति त्यौहार अनोखा।

दाल, चावल से बनी खिचड़ी,
अब इसकी है पहचान बनी।
गुड़, घी और तिल की भी शान,
मकर संक्रांति की बनी पहचान।

मकर संक्रांति पर स्नान करें,
नदियों को भी पवित्र करें।
गरीबों को भी दान करें,
काम कुछ महान करें।

मिलकर पतंग उड़ाएँ खूब,
रिश्तों की महक बढ़ाये खूब।
हर घर में होता ऐसा,
मकर संक्रांति त्यौहार अनोखा।

बड़े-बड़ों का आशीष पाएँ,
प्रेम से उनको शीश झुकाएँ।
इससे आदर सम्मान है बढ़ता,
मकर संक्रांति त्यौहार अनोखा।

त्यौहार एक है, पर नाम अनेक,
सभी सन्देश हैं देते एक।
विभिन्नता में जैसे एकता,
मकर संक्रांति त्यौहार अनोखा।

रचयिता
रीना सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गिदहा,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद -महाराजगंज।

Comments

  1. वाह वाह वाह.. बहुत ही अद्भुत रचना...

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  2. काबिले तारीफ....👌👌👌👌

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  3. This comment has been removed by the author.

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