२७१~ दीपा आर्य, प्रधानाध्यापिका, रा० प्रा० वि० लमगड़ा, जनपद-अल्मोड़ा, उत्तराखंड

🏅अनमोल रत्न🏅

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से उत्तराखंड की अनमोल रत्न बहन दीपा आर्य जी से से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और वयवहार कुशलता से प्राकृतिक आपदाओं का सामना करते हुए न सिर्फ विद्यालय के भौतिक परिवेश में चार चाँद लगाये बल्कि सरकारी शिक्षा के प्रति समाज का टूटते हुए विश्वास की डोर को पुनः मजबूत कर, हम जैसे हजारों शिक्षक साथियों प्रेरक मार्गदर्शन प्रदान किया। हम मिशन शिक्षण संवाद परिवार की ओर से बहन जी के प्रेरक कार्यों के लिए सादर प्रणाम करते हैं।

आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-

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मैं श्रीमती दीपा आर्य, प्रधानाध्यापिका, रा० प्रा० वि० लमगड़ा, जनपद-अल्मोड़ा, उत्तराखंड में कार्यरत हूँ।इण्टरमीडिएट बी०टी०सी० पश्चात विभाग में शिक्षण करते हुये शिक्षा के प्रति लगाव व ज्ञानार्जन हेतु मैंने अध्ययन जारी रखा। वर्तमान में मेरी शैक्षिक योग्यता तीन विषयों( समाज शास्त्र, राजनीति शास्त्र व शिक्षा शास्त्र मे स्नात्कोत्तर के साथ प्रशिक्षण योग्यता बी०टी०सी० व बी०एड० है। मेरी विभागीय सेवा में शिक्षण अनुभव-20 वर्ष का है।

🙏 मैं इस विद्यालय राजकीय प्राथमिक विद्यालय लमगड़ा जनपद अलमोड़ा उत्तराखण्ड में विगत 12 वर्षों से कार्यरत हूँ। इससे पूर्व में कई दुर्गम व अति दुर्गम विद्यालयों में रहने के पश्चात मेरा स्थानांतरण यहाँ हुआ। यह विकास खण्ड मुख्यालय का विद्यालय है, इस क्षेत्र में शहरों के समान सभी संस्थाये हैं, दो निजी विद्यालय भी संचालित हैं। प्राईवेट विद्यालयों के प्रति अभिभावकों का बढता मोह व सरकारी विद्यालयों के प्रति घटता आकर्षण के कारण छात्र संख्या बनाये रखना चुनौती थी। अतः मुझे यहाँ आते ही सबसे पहले छात्रों को विद्यालय में रोकने हेतु प्रयास करना पड़ा।
प्राकृतिक आपदा में विद्यालय चाहरदीवारी व किचन ध्वस्त होने के कारण विद्यालय बहुत बुरा लग रहा था, मेरे द्वारा स्वयं आर्थिक सहयोग व प्रयास किया गया, तत्पश्चात जन प्रतिधियों के सहयोग से विद्यालय चाहरदीवारी व प्रवेश द्वार का निर्माण कार्य पूर्ण कराया गया।
फिर समय-समय पर विद्यालय को मिलने वाली पाँच हजार विद्यालय अनुदान व इतनी ही विद्यालय रखरखाव की निधियों का सदुपयोग कर, उसमें अपनी तरफ से आर्थिक मदद कर चाहरदीवारी के साथ-साथ पक्की ईंटों से आकर्षक क्यारियाँ बना कर उनमें विभिन्न किस्म के फूल के पौधे लगाए गए। दीवारों में स्लोगन, राष्ट्रगान, प्रतिज्ञा, सामान्य-ज्ञान सम्बन्धी कई जानकारियां लिखवाई गई। विद्यालय में बच्चों के लिए बैठने के लिए आकर्षक फर्नीचर की व्यवस्था, अनुशासन व आत्मविश्वास बढ़ाने हेतु आकर्षक गणवेश, टाई -बैल्ट, सदनवार गणवेश की व्यवस्था की गई।
विद्यालय में सभी छात्र BPL (गरीबी रेखा से नीचे) व अपवंचित वर्ग के हैं, जिन्हें पढ़ाना ही नहीं, पढ़ने के लिए तैयार भी करना पड़ता है। सभी बच्चों में समान आत्मविश्वाश जागृत करने हेतु मेरे द्वारा दोनो वर्गों (SC/GEN) भोजन माताओं का चयन विधिवत किया गया। उन बच्चों के लिए MDM में उत्तम व स्वादिष्ट भोजन व पुष्टाहार की व्यवस्था की। समय-समय पर विशेष भोज भी कराया जाता है। जिसमे मेरे सहयोगी शिक्षक भी पूरा सहयोग देते है। घर-घर जाकर स्कूल चलो अभियान के तहत अभिभावकों से सम्पर्क किया व बच्चों को नियमित विद्यालय भेजने हेतु आग्रह किया गया।
अब बच्चों का मन विद्यालय में लगने लगा और गिरती छात्र संख्या पर लगाम भी लगने लगी। उन्हें पढ़ाने के लिये, मेरे द्वारा गतिविधि आधारित शिक्षण कराया जाता है, जिसमें बच्चे विभिन्न गतिविधियां , जैसे-कहानी ,कविता, खेल, प्रतियोगताओं के माध्यम से बच्चे सीखते हैं, बच्चों के साथ मिलकर TLM, (सहायक शिक्षण सामग्री) का निर्माण किया जाता है, जिसका प्रस्तुतिकरण स्वयं बच्चे करते हैं। बालशोध के अंतर्गत बच्चों को सूक्ष्म जानकारियां व शैक्षिक नवाचार हेतु प्रोजेक्ट बना कर जानकारी एकत्र की गई। अभिलेख तैयार किया गया जिसका प्रस्तुतिकरण डायट अलमोड़ा में भी किया। बाल सभा, प्रतिभा दिवस व अन्य सभी विशेष दिवसों पर प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जिसके फलस्वरूप विभिन्न प्रतियोगिताओं में सुलेख, निबंध, चित्रकला, भाषण, सामान्य-ज्ञान, मैथ्स विजार्ट, व English spelling ginius competition में विद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा संकुल, विकास खण्ड, जनपद व राज्य स्तर तक प्रतिभाग किया गया है। विगत वर्षों में बच्चों का समय-समय पर चयन राजीव नवोदय/जवाहर नवोदय विद्यालयों हेतु होता रहता है।
विभागीय खेल प्रतियोगिताओं/ सपनों की उड़ान / विज्ञान महोत्सव/ भाषा गणित महोत्सव में भी बच्चों द्वारा हमेशा ब्लाक/ जिला स्तर पर स्थान प्राप्त किया जाता है।

विद्यालय का वातावरण आकर्षक व भयमुक्त है, बच्चे छुट्टी में भी घर जाना पसंद नही करते।
मेरे द्वारा स्वयं व सहायक अध्यापक के सहयोग से छात्रों को स्टेशनरी व स्वेटर जूते इत्यादि की व्यवस्था की जाती है।
समय-समय पर स्टेट बैंक शाखा लमगड़ा द्वारा भी हमारे विद्यालय के बच्चों को स्वेटर, स्टेशनरी व गणवेश हेतु सहायता दी गई है।
विद्यालय में स्वछता सम्बन्धी विशेष ध्यान दिया जाता है। अब वर्तमान में विद्यालय की घटती जा रही छात्र संख्या स्थिर होकर बढ़ रही है।
मेरा प्रयास है कि मैं सरकारी विद्यालयों के प्रति लोगों का नजरिया सकारात्मक बनाऊं। हमारे विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र व अभिभावक गर्व महसूस कर सकें।उन गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा दूं।जिससे वे भी समाज व राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें।
मेरे इन उपरोक्त विद्यालय विकास व छात्र/ छात्राओं के हित मे किये जा रहे शैक्षिक प्रयासों व उपलब्धियों के कारण उत्तराखण्ड शिक्षा विभाग द्वारा 5 सितम्बर 2018 को गवर्नर एवार्ड से माननीय राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया गया।🙏🙏🙏
संकलन--लक्ष्मण सिह मेहता संयोजक मिशन शिक्षण संवाद उत्तराखण्ड

नोट: आप अपने मिशन परिवार में शामिल होने, आदर्श विद्यालय का विवरण भेजने तथा सहयोग व सुझाव को अपने जनपद सहयोगियों को अथवा मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।

निवेदक: विमल कुमार
मिशन शिक्षण संवाद
30-10-2018

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