मिशन एक अनूठी पहल

कहते हैं कदम चाहें छोटा हो बड़ा लेकिन बढ़ना चाहिए अर्थात प्रयास चाहें छोटा हो या बड़ा लेकिन होना चाहिए और इस छोटे से कदम को यदि एक सही दिशा मिल जाए तो कदम सही और सटीक जगह पड़ता है तथा कदम एक बड़ा रूप ले लेता है। इसी दिशा में मिशन शिक्षण संवाद की सराहनीय पहल से हम लोगों के नवाचारी प्रयासों को एक नयी दिशा मिल रही है। नि:सन्देह यह परिवर्तन की ओर बढ़ने की एक सराहनीय पहल है। 

यदि हम अपनी सकारात्मक सोच के साथ और अपनी पुरानी शैक्षणिक गतिविधियों का नवीनीकरण कर दें तो बदलाव जरूर दिखता है और मिशन शिक्षण संवाद इस सकारात्मक सोच को एक दिशा देने की एक सार्थक पहल है। यदि हम किसी भी प्रकरण को विभिन्न नवीन तरीकों  के साथ बच्चों के सामने प्रस्तुत करें तो उस प्रकरण में एक रोचकता आ जाती है और बच्चों के लिए सुगम तथा बोधगम्य हो जाता है। 


हमारे शिक्षक अपार ज्ञान के भण्डार हैं लेकिन यदि उस ज्ञान का एक अंश मात्र सकारात्मकता के साथ इनोवेटिव तरीकों का प्रयोग करते हुए और बच्चों तक पहुँचाए तो वह दिन दूर नहीं जब हमारे विद्यालय कान्वेंट स्कूल को पीछे छोड़ते नजर आयेंगे और हम सब के ऐसे अंश मात्र के प्रयास को एक प्रेरणात्मक दिशा देने का काम मिशन शिक्षण संवाद कर रहा है और यदि  हम सब मिलकर ऐसे सकारात्मकता के साथ बदलाव लाने की ठान लें तो ठीक वैसे ही परिवर्तन दिखेगा जैसे दीपावली के दिन अमावस्या की घनी अधेरी रात होती है और हर जगह जगह पर एक-एक छोटा दीपक जलता है तो प्रकाश ही प्रकाश दिखाई पड़ता है। ठीक इसी तरह जब हम सब शिक्षक एक अपने प्रयासों का छोटा सा भी दीपक बच्चों के साथ मिलकर जलायेंगे तो प्रकाश होने में बहुत देर नहीं लगेगी। मिशन शिक्षण संवाद उस दीपक में बत्ती को जलने में सहायक एक ऑक्सीजन है और हम सब उस ऑक्सीजन के एक घटक हैं। यदि हम सब मिलकर एक-दूसरे से अपने शैक्षणिक विचारों को आपस में नि:स्वार्थ भाव से शेयर करें जिससे आपसे हम सीख सकें तथा हमसे आप सीख सकें जैसे मिशन शिक्षण संवाद के हमारे सभी शिक्षक साथी नि:स्वार्थ भाव से कर रहे हैं तो नि:सन्देह एक दिन हम सबको अवश्य ही नयी दिशा मिलेगी। इसमें कोई सन्देह नहीं है। मिशन के ऐसे सराहनीय कदम की जितनी प्रशंसा की जाए कम है।

लेखक
हरीओम सिंह,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय पेरई,
विकास खण्ड-नेवादा,
जनपद-कौशाम्बी।

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