नवरात्रि

नवरात्र नवम् स्वरूप माँ सिद्धिदात्री 

          जय माँ सिद्धिदात्री  


नवम् स्वरुप माँ सिद्धिदात्री
देती हैं  साधक को प्रसिद्धि।
ऋषियों-मनीषियों, नर-नारी
का आभामंडल सिद्धिदात्री।।

शंख, चक्र, गदा, पद्म धारणी
कमल पर बैठी हैं माँ वैष्णवी।
सुवर्ण मुकुट श्वेत माला साजें
प्रसन्न नयन हृदय सिद्धिदात्री।।

महालक्ष्मी, महागौरी, कृपापात्री
माँ सृष्टि, महामाया, वाक् सिद्धि।
पापनाशिनी, मोक्षदायिनी गंगा
चौंसठयोगिनी हैं माँ सिद्धिदात्री।।

तिल का नैवेद्य प्रिय फलदात्री
माँ का गुण गायें भक्त- शास्त्री।
माँ महाविद्या है, महाशक्ति हैं
शिवशक्ति हैं, माँ सिद्धिदात्री।।

     
नवरात्र नवम स्वरुप पर विशेष रचना

          जय माँ बिजासन 


जय माँ कुलदेवी बिजासन
मेरे घर पधारो लगा आसन।
सृष्टि की हो  जोगमाया माँ
चहुँओर है आपका शासन।।

हर मंजिल को करो आसान
स्वीकारों माँ मेरा अभिवादन।
हर पल  रखो  हमको  प्रसन्न
कुल का बना रहे अनुशासन।।

सुख - शांति का हो आगमन
वंश को समृद्ध करो बिजासन।
श्रद्धाभाव जो जन शीश नवावें
सुखमय जीवन करें माँ बिजासन।।

रचयिता
गोपाल कौशल
नागदा जिला धार मध्यप्रदेश
99814-67300
रोज एक - नई कविता 
Email ID : gopalkaushal917@gmail.com
©स्वरचित ® 15-03-2018

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