संहार करने आ जाओ

इस दशहरा फिर से कलियुग के रावण का संहार करने आ जाओ।

परदादा ने किया था मुकदमा आज बच्चे भी लड़ रहे।
पेशकार, मुन्शी और वकील का चक्कर लगा रहे।

इस कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट  से न्याय दिलाने आ जाओ।
इस दशहरा फिर से कलियुग के रावण का संहार करने आ जाओ।।

जनता की पुलिस, बनी शासक की पुलिस, जो सत्तासीनों को संरक्षण दे रही।
1861 में अंग्रेजों द्वारा बनी पुलिसिया कानून को ढो रही।

इस पुलिस को जनता की पुलिस बनाने आ जाओ।
इस दशहरा फिर से कलियुग के रावण का संहार करने आ जाओ।।

74वें संविधान संशोधन मे शहरों को एक आस जगी।
शहर बनेगा स्वर्ग, बुनियादी सुविधायें मिलने लगेंगी।

पर जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने मे फँसे नगर निकायों से मुक्ति दिलाने आ जाओ।
इस दशहरा फिर से कलियुग के रावण का संहार करने आ जाओ।।

2020 तक 21 शहरों मे भूजल खत्म हो जाएगा।
2030 तक जल की माँग, आपूर्ति से बढ़ जाएगा।

बूँद-बूँद को तरसेंगे लोग, इस अनमोल धन को बचाने आ जाओ।
इस दशहरा फिर से कलियुग के रावण का संहार करने आ जाओ।।

कलियुग के रावण पर्यावरण का नाश कर रहे।
हर साल जहरीली हवा से 12 लाख लोग मर रहे।।

2050 तक 1•7अरब आबादी को उन्मुक्त साँस दिलाने आ जाओ।
इस दशहरा फिर से कलियुग के रावण का संहार करने आ जाओ।।

महिला हुई अबला हर पल इनसे भेदभाव हुआ।
बाहर निकलना हुआ मुश्किल शिक्षा भी दुश्वार हुआ।

इन अबला को सबला बनाने आ जाओ।
इस दशहरा फिर से कलियुग के रावण का संहार करने आ जाओ।।

सरकार अपनी जी डी पी की मात्र 1•3 फीसदी स्वास्थ्य पर खर्च कर रही।
सरकारी अस्पताल डाक्टरों दवाओं की कमी से कराह रही।

निजी अस्पतालों के चंगुल से बचाने आ जाओ।
इस दशहरा फिर से कलियुग के रावण का संहार करने आ जाओ।।

21वें सदी मे भी 36•3 करोड़ जनता दरिद्रता का दुख भोग रही।
इस महँगाईमे भी सरकार 972 रू प्रति व्यक्ति उपभोग से माप रही।

इन अनाचारी नीतियों से गरीबों को निजात दिलाने आ जाओ।
इस दशहरा फिर से कलियुग के रावण का संहार करने आ जाओ।।

शिक्षा है संजीवनी पर आज भी बच्चे स्कूल छोड़ रहे।
कुछ सरकार, कुछ अभिभावक, कुछ टीचर भी लापरवाह हो रहे।

सबको मिले शिक्षा, कुछ ऐसा करने आ जाओ।
इस दशहरा फिर से कलियुग के रावण का संहार करने आ जाओ।।

जो आबादी कल थी समस्या आज वो संसाधन हुई।
वो भारत को विश्व शक्ति बनाने को आतुर हुई।

हर हाथ को हुनर, हर दिमाग को कौशल दिलाने आ जाओ।
इस दशहरा कलियुग के इन दस रावणों का संहार करने आ जाओ।।

रचयिता
ब्रजेश कुमार द्विवेदी,
प्रधानध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय हृदयनगर,
जनपद-बलरामपुर।

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