हमारी शैक्षिक व्यवस्था

सुधार नहीं होता एक दिन में,
व्यवस्था में यह करना।
पर मिलती सफलता अवश्य है,
तुम प्रयास जारी रखना।
प्रार्थना सभा कराना तुम,
पूरा आधा घंटा।
राष्ट्रगान की गूँज हो जिसमें,
अभियान गीत का झंडा।
मुख्य समाचार बताकर के,
सद्वाक्य भी बोलो तुम।
आज का दीपक और पुष्प,
बच्चों में से चुन लो तुम।
विद्यालय परिसर की सफाई का भी,
ध्यान तुम्हें ही तो है रखना।
सुधार नहीं होता एक दिन में,
व्यवस्था में यह करना।

पाठ्यक्रम से पुस्तकों का,
पाठ तुम्हें है सिखलाना।
एक पाठ को सीख लें बच्चे,
तभी दूसरा खुलवाना।
हँसते-हँसते सीख लें बच्चे,
ऐसी विधियाँ अपनाना।
पढते-पढते खेलें बच्चे,
खेल-खेल में पढ़ लेंगे।
थोड़ी सी खुशियाँ देंगे उनको,
वो खुशियों से भर देंगे।
खेल-कूद बागवानी स्वाध्याय,
बालसभा भी करवाना।
नियमित घंटी बजे स्कूल की,
समय चक्र भी बनवाना।
कबीर सूर तुलसी के दोहे,
याद उन्हें तुम करवाओ।
बुनियाद है वो अपने देश की,
संस्कृति से परिचय करवाओ।
सुधार नहीं होता एक दिन में,
व्यवस्था में यह करना।
पर मिलती सफलता अवश्य है ,
तुम प्रयास जारी रखना।

रचयिता
अर्चना रानी (अग्रवाल), 
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय भैंसोड़ा,
विकास खण्ड-स्याना,
जनपद-बुलंदशहर।

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