योग दिवस

योग करते हैं हम प्रतिदिन, तो तन मन मुस्कुराता है।

बरसता है नूर मुख पर, स्वास्थ्य भी झिलमिलाता है।

उमंगें मन में जगती हैं, तरंग दिल में उठती है, 

 बुढ़ापे में भी यौवन का मनुज आनंद पाता है।।


योग है मित्र मानुष का, मगर रोगों का है दुश्मन है।

ज्यों रंगों से ही फागुन है, वो झूलों से ही है, सावन है।।

है उतना ही जरूरी योग भौतिकता के इस युग में, 

कहावत है पुरानी ये, स्वस्थ तन में स्वस्थ मन है।।


ये युग केवल दिखावे का, सभी को चाहिए शोहरत,

कौन दौड़े सुबह उठकर, पार्क में जा करें कसरत।

करेंगे एक दिन योगा, तान चादर सोएँगे फिर,

योग दिन पर योग करते, हुए फोटो की बस हसरत।


व्यस्त हैं आज सब कितने, नहीं पल भर की है फुर्सत।

सुप्त है प्रेम अनुभूति, दिलों में पल रही नफरत।

लेख कविता बनाकर चित्र, दिवस योगा मनाएँगे,

बनाने में बड़ा माहिर, मीडिया, राइ को पर्वत।।


 मोह से तोड़ कर मन को, प्रकृति से जोड़ करके तन।

भूल कर हर परेशानी, करो कसरत करो आसन।।

रहेगा दूर कोरोना, चित्त की वृत्तियाँ हों दूर, 

योग करने से ही मानव, प्रफुल्लित होगा तन व मन।।


रचयिता

पूनम गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय धनीपुर,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।



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