विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार दिवस

बुजुर्ग होते हैं वृक्ष समान,

सदा ही देते हैं जो छाँव।

करो सदा उनका सम्मान,

तभी मिलेगा हमको भी मान।

क्यूँ करते उनसे हिंसक व्यवहार,

स्वाभिमान होता उनका तार-तार।

कभी न करें उनसे दुर्व्यवहार,

दें उनका पूरा सम्मान और प्यार। 

क्यूँ देते उनको ऐसी निशानी,

जो भर दे उनकी आँखों में पानी।

न दो शरीर पर तुम निशानियाँ,

जो बयां करे दर्द की कहानियाँ। 

उलाहना और ताने जो उनको दोगे,

मन पर उनके होगा आघात,

किया करो उनसे भी दो बात।

ना कभी वो गुस्सा करते, 

झोली आशीषों से हैं भरते।

कभी भी ना पहुँचाओ,

उनको तुम दुःख और ठेस,

यही वो जिन्होंने धरा है,

इस धरा पर ईश्वर का वेश।

पाल-पोस कर बड़ा हैं करते,

जरूरतें-जिद भी पूरी करते।

यहीं देते हैं हमको जीवन,

जड़ों को हमारी सींचा करते,

दादा-नानी बन जग में हैं आते,

खुश होते हैं बच्चे सभी,

जब साथ इनका हैं पाते।

उम्र के इस पड़ाव पर उनका,

शरीर हो जाता है कमजोर,

सदा करो तुम उनकी सेवा,

और ध्यान सदा दो उनकी ओर।

चन्द लम्हें गुजारा करो उनके साथ,

बैठ किया करो तुम उनसे बात।

उन्हें मान-सम्मान, प्यार दे पाओगे,

तभी तो एक अच्छी पीढ़ी कहलाओगे।


रचयिता 

ब्रजेश सिंह,

सहायक  अध्यापक, 

प्राथमिक विद्यालय बीठना, 

विकास खण्ड-लोधा,

जनपद-अलीगढ़।

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