प्रकृति भक्त

पर्यावरण अदभुत नाम है,

आस पास आठों याम हैं।

जहाँ के सजीव विज्ञान से,

जीवों को पड़ता काम है।


पर्यावरण जीव की नैय्या,

जल, वायु, पेड़ हैं खिवैया।

प्रकृति के अनुसंधान से,

गतिमान हुआ हर प्राण है।


जल का ध्यान तरु लगावें,

प्रकृति भक्त हर सुख पावें।

मानव के श्रेष्ठ इस काम से,

सभी जीवों की पहचान है।


बुद्धिहीन का मन ललचायो,

संसाधन से खूब कमायो।

नादां के इस अज्ञान से,

मुश्किल में पड़ती जान है।


कि अनमोल जिसका दाम है,

हुआ पर्यावरण सावधान है।

माटी के पुतले ध्यान से,

स्वस्थ तन मन ही जहान है।


रचयिता

ऋषि दीक्षित, 

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय भटियार,

विकास क्षेत्र- निधौली कलाँ,

जनपद- एटा।

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