योग दिवस

उठो जागो हुआ सवेरा,

सूरज की किरणों ने डाला डेरा।

झट फिर आसन बिछाया,

आँख मूंद ध्यान लगाया।

तब देह में जादू हो आया,

भिन्न-भिन्न आसन लगाकर।

स्फूर्ति से शरीर भर आया,

दिन भर रहे प्रसन्न चित्त।

औषधियों को दूर भगाया,

रोगों को पास नहीं आने देते।

स्वस्थ रखते अपनी काया,

भरपूर ऑक्सीजन मिले।

इसीलिए योग अपनाया,

छरहरी काया होगी।

मुफ्त में योग होगा,

क्या-क्या बीमारियाँ हैं जग में।

हमने तो योग संदेश फैलाया,

भारत माता योग की धरती।

21 जून योग दिवस मनाया,

 संसार को निरोग रहना सिखाया।


रचयिता
नन्दी बहुगुणा कीर्ति,
प्रधानाध्यापक,
रा० प्रा० वि० रामपुर,
विकास खण्ड-नरेन्द्रनगर,
जनपद-टिहरी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।



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