प्यारे पापा

पापा सब के कितने अच्छे,

मेरे पापा सबसे अच्छे,

दिल से हैं वो बिल्कुल सच्चे,

दुनियादारी में हैं कुछ कच्चे।


शुक्रगुजार हूँ पिता की,

बनाया हमें इस लायक कि,

सम्मान की जिंदगी बिताऊँ,

समाज में आत्मनिर्भर कहलाऊँ।


अभावों में भी मुस्कुराते रहे,

ख्वाहिशों की पूर्ति करते रहे,

हर मुश्किल में पाया आप का साया,

पिता से बड़ा कोई प्यार न पाया।


पिता का हो आशीष तो जीवन सुखदाई,

ऐसी कोई घड़ी ना आई, जब आपकी याद ना आई,

जीवन संध्या हो सुखमय तुम्हारी,

आपके आशीर्वाद से परिपूर्ण हो बगिया हमारी।


रचयिता

भारती मांगलिक,

सहायक अध्यापक,

कम्पोजिट विद्यालय औरंगाबाद,

विकास खण्ड-लखावटी,

जनपद-बुलंदशहर।



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  1. ब्लॉग में स्थान देने के लिए हार्दिक आभार

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