५४- राम नारायण पाण्डेय, पू०मा०वि० दहिनी, इटखरी, चित्रकूट

मित्रों आज हम आपको बेसिक शिक्षा के अनमोल रत्नों के परिचय के क्रम में एक ऐसे विद्यालय से परिचय करा रहे हैं। जिसे कुछ वर्षों पूर्व कालापानी की संज्ञा दी जाती रही है। जहाँ सजा के रूप में शिक्षकों की पोस्टिंग की जाती रही थी। लेकिन असंभव नाम की इस दुनिया में आज भी लाखों लोग ऐसे हैं। जो असम्भव को सम्भव बनाने पर विस्वास रखते हैं। इन्हीं सकारात्मक और असम्भव को सम्भव बनाने वालों के बीच से आपका परिचय एक शिक्षक जोड़ी से करा रहे हैं। जिन्होंने भय और आतंक से डर कर भागने की अपेक्षा मुकाबला कर भय का भूत भगा कर विश्वास का पौधा विकसित करने पर विस्वास किया। और यह साबित कर दिया कि हम एक और एक दो नहीं ग्यारह हैं।
तो आइये जाने वह कौन जोड़ी है उन्हीं के शब्दों में--''
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सर, आपको एक शिक्षक के बारे में बताना चाहता हूँ जो जनपद चित्रकूट के पू.मा.विद्यालय में विगत छ: वर्षो से सेवा कर रहे... उनका नाम अनुराग सक्सेना है जो मूलरूप से जालौन जिला के है विद्यालय विकास  के प्रति उनका उत्कट रूझान है.. उन्हें सर्वप्रथम वह विद्यालय मिला जो विभाग में कालापानी के नाम से विख्यात होने के कारण सजा के तौर पर क्योंकि सजायाफ्ता टीचरों को वहाँ भेजा जाता है, वे भी ससपेंड हो गए थे भवन निर्माण में... लेकिन 2009  में उन्होंने मुझे भी वहाँ मेरे प्रमोशन पर बुला लिया। वहाँ हत्या मारपीट, अनाचार , गाली गलौज का माहौल था। विद्यालय में मात्र 20 छात्र पढ़ने आते थे वे भी टीचरों को कुर्सी से गिरा देते थे... हम शुरू में दोनों बातों बहुत डरे से थे सोचे किसी तरह ट्रांसफर करवा लें लेकिन फिर आत्मबल मजबूत किये और परिस्थितियों से भागने की जगह संघर्श किया और जूझे... कुछ लोग तो 5-6 माह पीछे पड़े रहे लेकिन हम दोनों ने नया बीड़ा उठाया कि बच्चों को किताब नहीं पहले संस्कार और शिष्टाचार सिखाया जाए हमने इस पर 5-6 माह में काफी कुछ सफलता पा लिया, ग्राम प्रधान थोड़ा अनुकूल हुए, हमारा संदेश बच्चों के माध्यम से घर- घर तक पहुँचा। परिणाम सकारात्मक मिलने लगे, हौसला बढ़ने लगा।
अगले वर्ष नामांकन 50 हो गया, फिर क्रमश: बढता गया आज 68 बच्चे हैं। इ. प्र. अ. सक्सेना जी ने मुझे पठन में लगाया अपना स्वयं व्यवस्था में लगे...
आज की स्थिति...
बाऊंड्री का निर्माण, वादन के अनुसार शिक्षण, मीना मंच का आयोजन, थियेटर के माधयम कई विषयों का शिक्षण, स्वरचित नवाचार गुटिका के द्वारा खेल- खेल में शिक्षा, तीन भाषाओं में प्रार्थना, समाचार वाचन, लोकनृत्य लोकसंवाद के माध्यम से जागरूकता संदेश देना, विज्ञान  के सरल प्रयोग बच्चे स्वयं करते हैं।माइक द्वारा प्रार्थना, सहायक सामग्री का प्रयोग, हर वर्ष एक नई प्रार्थना व चेतनागीत, बागवानी, रंगोली, मिट्टी व कागज की हस्तशिल्प का निर्माण, जैसे ..पैड, बाइंडिग आदि...नियमित जनसंपर्क, मासिक बैठकों का आयोजन, बच्चों द्वारा प्रोजेक्ट कार्य का संपादन, लड़कियों के नामांकन उपस्थिति में आशातीत वृद्धि, उपस्थिति 80-90% के बीच रहती है, बच्चों को परिचयपत्र दिया गया है, बाल संसद के द्वारा कक्षाकक्षों का संचालन, बहुत जल्दी हम लोग प्रोजेक्टर की व्यवस्था करके शिक्षण को प्रभावी और सहज ग्राह्य बनाने की प्लान बना रहे हैं....
आज जनपद में उस कालापानी को लोग सम्मान से जानने लगे है और 80% तक वहाँ के लोग हमारे साथ खडे दिख रहे हैं। यह सब श्री अनुराग सक्सेना जी के दूरदर्शी सोच का परिणाम है... मुझे आज वहाँ पर गर्व महसूस होता है।
आर एन पाण्डेय पू.मा.वि. दहिनी संकुल इटखरी, विकास खण्ड- चित्रकूट जिला- चित्रकूट
9935904308
मित्रो आपने देखा कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
ऐसे संघर्षपूर्ण और प्रतिकूल माहौल को अनुकूल बनाने वाली अनुराग सक्सेना जी एवं आर एन पाण्डेय जी की जोड़ी को मिशन संवाद की ओर से बहुत- शुभकामनाएँ!
मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा आयेगा।
हम सब हाथ से हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
 
विमल कुमार
कानपुर देहात
24/07/2016

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