५६- अल्पा निगम प्रा० वि० तिलौली, सरदारनगर, गोरखपुर

मित्रों आज के परिचय में मिशन संवाद के माध्यम से आपको मानवता का संरक्षण करने वाली राष्ट्र देवी स्वरूप प्रतिभाओं की प्रतिभा बहन अल्पा निगम जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपने परिवर्तनकारी प्रयासों से ऐसा चमत्कार कर दिखाया कि एक बेसिक शिक्षा के विद्यालय में अभिभावकों को अपने बच्चों का नामांकन कराने के लिए संघर्ष और प्रयास करने पड़ते हैं। जबकि हमें घर - घर जाकर बच्चों को विद्यालय तक लाने के लिए निवेदन करना पड़ता है। हम जिस तंत्र का अनुकरण करते- करते परतंत्र हो गये। वही आपने उसी तंत्र पर मानवता की सेवा करके  विजय प्राप्त कर स्वतंत्रता प्राप्त कर ली।
हमारी बहन की सकारात्मक सोच और ऊर्जा ने किस तरह अपने मूल निवास से सैकड़ों मील दूर होने के बाबजूद एक ग्रामीण परिवेश के विद्यालय को उपलब्धियों और गतिविधियों का केन्द्र बना दिया है। जो हम जैसे हजारों शिक्षकों के लिए प्रेरणा और प्रशिक्षण का स्रोत है।
तो आइए जानते हैं बहन अल्पा निगम जी की गतिविधियों और उपलब्धियों की कहानी उन्हीं के सम्मानित शब्दों में---
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प्राथमिक विद्यालय तिलौली , गोरखपुर , पर मेरा सफ़र 31 जुलाई 2010 में सहायक अध्यापिका के रूप में आरम्भ हुआ था| उस समय विद्यालय में मात्र 69 बच्चे ही नामांकित थे और कुल 24 बच्चे उपस्थित थे , वो भी नंगे पैर और मैले कुचैले कपड़ों में| विद्यालय भी काफी अस्त व्यस्त सा था| भौतिक परिवेश में सुधार से ज्यादा आवश्यक था बच्चों की उपस्थिति में सुधार करना जो की मेरे लिए उस समय एक चुनौती ही थी क्योंकि मैं उस स्थान के लिए नयी थी| मैंने नियमित रूप से प्रतिदिन विद्यालय शुरू होने से पहले और विद्यालय के बाद अभिभावकों से संपर्क करना प्रारंभ किया, कभी बच्चा नहीं मानता तो कभी अभिभावक| ऐसे में मैंने विचार किया कि ऐसा क्या किया जाए कि बच्चे विद्यालय आयें| मेरा मानना है कि बच्चे कोमल होते हैं उनके मन में जगह बनाना आसान होता है| बस इस बात को ध्यान में रखते हुए मैंने विद्यालय को गतिविधियों का केंद्र बनाने का प्रयास किया| हमारे प्राथमिक विद्यालय के बच्चों के लिए उस समय आर्ट और क्राफ्ट के अवसर नहीं मिलते  थे| मैंने अपने विद्यालय के सभी बच्चों के लिए चार्ट पेपर को काट कर क्राफ्ट बुक तैयार की| बच्चों की उपस्थिति को सुधारने के लिए मैंने अपने विद्यालय में पहला व आखिरी घंटा रचनात्मक क्रियाकलापों का रखा ताकि बच्चे सुबह में प्रार्थना के समय उपस्थित हों और छुट्टी तक रुकें क्योंकि उनके मन में कौतुहल रहता कि अभी विद्यालय में कुछ नया होना बाकी है | मेरे इस प्रयास में मुझे पूर्ण सफलता मिली क्योंकि बच्चे जो भी रचनात्मक कार्य करते उसे घर जाकर अपने मित्रों से साझा करते जिससे अनुपस्थित बच्चों के मन में भी कुछ नया सीखने की इच्छा होने लगी जिस कारण विद्यालय की उपस्थिति में अत्यधिक सुधार हुआ| बच्चों को स्वच्छता एवं साफ़ सफाई के लिए प्रेरित करने को मैंने प्रतिदिन सबसे साफ़ बालक को उजाला और सबसे साफ़ बालिका को रोशनी बनाना आरम्भ किया जिससे बच्चे साफ़ सुथरे आने लगे| बच्चों के रचनात्मक कार्यों को समाज तक पहुंचाने के लिए प्रतिवर्ष विद्यालय में विज्ञान, tlm एवं हस्तशिल्प कला प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है जिसमें बच्चों की प्रतिभा का लोहा मंडलायुक्त महोदय से लेकर जिलाधिकारी महोदय तक मान चुके हैं जब बच्चों ने 45 working और 40 non working विज्ञान के मॉडल्स बनाए जैसे आलुओं से विद्युत्, सौर ऊर्जा चलित रोबोट, simple rocket, levitating पेंसिल, epidiascope, simple वैक्यूम क्लीनर  आदि | विद्यालय में 2011 से अनवरत ग्रीष्मकालीन शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसके परिणामस्वरुप 8 आउट ऑफ़ स्कूल बच्चे और 5 बाल श्रमिक पुनः शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़कर आज पूर्व माध्यमिक कक्षाओं में अध्ययनरत हैं| अभिभावकों के विद्यालय से जुड़ाव के लिए मैंने विद्यालय में प्रत्येक धार्मिक पर्व (जैसे बसंत पंचमी, होली, दीवाली,  ईद , क्रिसमस, जन्माष्टमी, नागपंचमी, रक्षाबंधन आदि ) को विद्यालय में मनाना प्रारम्भ किया जिसके परिणामस्वरूप कई सामाजिक कुप्रथाओं का बच्चों व उनके अभिभावकों द्वारा बहिष्कार किया गया जिसमें उल्लेखनीय है नागपंचमी पर गुड़िया पीटना| विद्यालय के बच्चों ने समय समय पर नुक्कड़ नाटकों व नृत्य नाटिकाओं के माध्यम से कन्या भ्रूण हत्या, बालिका शिक्षा एवं स्वास्थ्य, महिला एवं प्रौढ़ शिक्षा, यातायात नियमों आदि के प्रति ग्रामवासियों को जागरूक किया जिसके फलस्वरूप गाँव की 85 महिलाओं ने विद्यालय के बाद विद्यालय में पढ़ने की इच्छा व्यक्त की तब मैंने उन्हें विद्यालय के बाद पढ़ाना आरम्भ किया जिन्हें देखकर 55 अन्य महिलाओं ने भी विद्यालय में शिक्षा लेना प्रारंभ किया| इनमें से 9 महिलाएँ विद्यालय में बच्चों के बीच बैठकर क्रमशः कक्षा 1, 2 व 3 में शिक्षा ग्रहण कर रही हैं|
विद्यालय के बच्चों को प्राप्त सुविधाएं :
1.  प्रोजेक्टर के माध्यम से शिक्षा
2.  पूरे विद्यालय में सोलर पैनल द्वारा विद्युत् व्यवस्था
3.  सबमर्सिबल व वाटर प्यूरीफायर
4. साप्ताहिक गणवेश के रूप में house colour t.shirt और सफ़ेद यूनिफॉर्म 
5. समृद्ध पुस्तकालय जिसमें 700 से अधिक पुस्तकें हैं
6.  कक्षा 1 व 2 के बच्चों के लिए अनुलेखन-प्रतिलेखन  अभ्यास हेतु worksheets
7.  सभी बच्चों को छात्र दैनन्दिनी और परिचय पत्र
8.  सभी बच्चों को टाई व बेल्ट
9.  कंप्यूटर शिक्षा
10.  प्रतिदिन हारमोनियम व ड्रम के साथ प्रार्थना सभा
11.  बच्चों को संगीत व मार्शल आर्ट्स की शिक्षा
12.  सभी कक्षाओं में wall to wall matting
13. टॉयलेट काम्प्लेक्स : बालक व बालिकाओं के लिए 4 -4 शौचालय
विद्यालय द्वारा किये जा रहे प्रयास :‌-
1.   प्रतिवर्ष ग्रीष्मकालीन शिविर का आयोजन
2.   विज्ञान , tlm एवं हस्तशिल्प कला प्रदर्शनी
3.    अभिभावक शिक्षा : जिसके अंतर्गत अब तक 140 महिलाएं साक्षर हो चुकी हैं
4.    निबंध , कविता, कहानी, सुलेख, चित्र कला, सामान्य ज्ञान, प्रतियोगिता
5.   कमज़ोर बच्चों को अतिरिक्त समय देकर शिक्षा देना
6.    सभी धार्मिक पर्वों को विद्यालय में मनाना 
7.   100% उपस्थिति वाले छात्रों को पुरस्कृत करना
8.   शैक्षिक भ्रमण
9.    समय समय पर प्रेरणास्रोत व प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा अतिथि व्याख्यान
10.   गतिविधि आधारित शिक्षण
11.   सक्रिय बाल समितियां
12.  पौधों की देखभाल के लिए बच्चों व अभिभावकों को जिम्मेदारी सौपना
13.  समय सारणी के अनुसार शिक्षण
विद्यालय की उपलब्धियाँ
1.  Unicef द्वारा विद्यालय की विडियो फिल्मिंग 
2.  राष्ट्रीय हिंदी दैनिक “अमर उजाला” द्वारा  रूपायन एचीवर अवार्ड
3.   EDI अहमदाबाद द्वारा “I can” अवार्ड
4.   2012 व 2014 में तत्कालीन जिलाधिकारियों द्वारा आदर्श शिक्षक  सम्मान
5.   Nation Builder Award
6.   जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान गोरखपुर द्वारा आदर्श शिक्षक सम्मान
7.   नामांकित 252 छात्रों के सापेक्ष 225 – 230  की छात्र उपस्थिति
8.   D.I.G. (ssb) सर द्वारा विद्यालय के 6 बच्चों को अपने शिविर में विशेष प्रशिक्षण के लिए आमंत्रित करना
9. सामुदायिक सहयोग के माध्यम से विद्यालय के विकास के लिए NCERT द्वारा सम्मानित
विद्यालय की उपलब्धियों को विद्यालय के फेसबुक i.d. (प्राथमिक विद्यालय तिलौली ), फेसबुक पेज के साथ साथ you tube  पर भी देखा जा सकता है।
   सफ़र अभी जारी है और आशा है कि आने वाले समय में विद्यालय के बच्चे नए कीर्तिमान स्थापित करने में सफल होंगे क्योंकि--
“कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती |”
अल्पा निगम (प्र.अ.)
प्राथमिक विद्यालय तिलौली, सरदार नगर
गोरखपुर
मित्रों आपने पढ़ते हुए सीखा होगा कि किस तरह प्रेम और वात्सल्य से बहन ने एक आम गाँव गरीब के लिए शिक्षा को उच्च मानकों के साथ सुगम बना दिया तथा विविध संस्कारों का ज्ञान कराकर विद्यालय को ज्ञानशाला के साथ संस्कारशाला भी बना दिया। वैसे हमें प्रत्येक कर्मयोगी शिक्षक के विषय में जानकर और लिखने में बहुत ही खुशी होती है लेकिन आज इस बहन के परिवर्तन कारी प्रयासों का पूरा विवरण पढ़ते और लिखते हुए खुशी के आंसुओं का वजन सहन नहीं कर सका जिससे वह बाहर निकल ही आये। इसलिए ऐसी प्रेरणा स्रोत शिक्षा की देवी को कोटि - कोटि नमन करते हैं। तथा मिशन संवाद की ओर से बहन और उसके सहयोगी विद्यालय परिवार को उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ बहुत- बहुत शुभकामनाएँ!
मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा आयेगा।
हम सब हाथ से हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
*उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।*
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
 
विमल कुमार
कानपुर देहात
१४/0८/२०१६

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