३२-डॉ० सर्वेष्ट मिश्र पू०मा० विद्यालय परसा जागीर, बस्ती सदर, बस्ती

मित्रों आज हम बेसिक शिक्षा के अनमोल रत्नों से परिचय के क्रम में जनपद- बस्ती के अनमोल रत्न से परिचय करा रहे हैं। आपने अपनी लगन और सकारात्मक सोच से एक सामान्य विद्यालय को विशिष्ट विद्यालय बना कर दिखा दिया कि---
"श्रम कभी विफल नहीं होता"
जहाँ एक ओर बेसिक शिक्षा में मेहमान शिक्षक भी है जो बेसिक शिक्षा के जहाज को डुबाने के लिए अपने व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए भ्रष्ट व्यवस्था के सहयोगी बनकर अपने प्रयासों को सफल बनाने के लिए सदैव सम्मान सहित उतावले रहते हैं।
वही हमारे बहुत से अनमोल रत्न और गुमनाम शिक्षक भाई/ बहिन बेसिक शिक्षा एवं शिक्षकों के हित और सम्मान की रक्षा के लिए बिना किसी स्वार्थ के अपने वेतन का धन और अपने बच्चों का समय भी व्यय करने में कोई दुःख का एहसास नहीं करते हैं। हम ऐसे महान शिक्षकों को मिशन संवाद की ओर से नमन करते हैं।
तो आइए पढ़ते हैं ऐसे ही अनमोल रत्न की कहानी उनके शब्दों में---
सम्मानित मित्रों,
      मैं डॉ○ सर्वेष्ट मिश्र, सहायक अध्यापक, पूर्व माध्यमिक विद्यालय, परसा जागीर, बस्ती सदर, जिला- बस्ती से।
मेरी पोस्टिंग- 2011 में इस विद्यालय पर हुई थी। उस समय स्कूल सामान्य स्कूल की तरह था। कुल चार शिक्षक थे। दो साल के भीतर के भीतर दो साथी शिक्षक अन्यत्र चले गए। प्रभारी प्रधानाध्यापक रिटायर हो गए। अब बचा मैं अकेला। यही से हमने अपने प्रयासों को परिणाम तक पहुँचाने का प्रयास शुरू कर दिया। ऐसे में अपना साथ देने के लिए हमने बी○ एस○ ए○ सर से निवेदन कर अपने पुराने सहयोगी शिक्षक श्री के○ के○ पाण्डेय को अपने स्कूल पर अटैच करवाया। स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक रहते हुए हमने विद्यालय में अपने नवाचार पर कार्य करना शुरू किया। सबसे पहले स्कूल की साज- सज्जा दुरुस्त करने और बच्चों को बेहतर व आधुनिक सुविधाओं से लैश करने का प्रयास शुरू किया। जनपद में पहली बार हमने अपने स्कूल के सभी बच्चों को बेहतरीन ड्रेस के साथ ही टाई, बेल्ट और प्लास्टिक आईडी कार्ड दिया। इसके बाद स्कूल की दिनचर्या पर ध्यान दिया। हर दिन के लिये अलग- अलग प्रार्थना, योग, खेल कूद, पीटी बच्चों की नियमित दिनचर्या में शामिल किया। सभी बच्चों को मध्यान्ह भोजन करने के हमने एक जैसा स्टील के प्लेट, गिलास व अन्य वर्तन अपने व्यक्तिगत मित्रों के सहयोग से खरीदा। मित्रों के ही सहयोग से बच्चों को खेलने के लिए बैट, बैडमिंटन, फुटबॉल, वालीबॉल, कैरम बोर्ड, चैस, लूडो और अन्य कई खेल सामग्रियाँ खरीदी। इससे न केवल बच्चों का प्रवेश बढ़ा बल्कि वे स्कूल में रुकने लगे और उन्हें पढाई में मजा आने लगा। बच्चों को शत प्रतिशत ड्रेस में और समय से उपस्थिति को हमने अपना लक्ष्य बनाया और शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ने के लिए काम करने लगे। स्कूल में मीना रेडियो और अपने लैपटॉप से कंप्यूटर शिक्षा भी शरू की। जिसका परिणाम यह हुआ कि हमारे स्कूल के छात्र सुहैल अहमद को स्टेट लेवल पर मीना रत्न अवार्ड से उसे तथा हमें श्रीमती डिम्पल यादव और यूनिसेफ के अधिकारियों ने लखनऊ बुलाकर सम्मानित किया। 2013 में प्रदेश सरकार द्वारा चलाई गयी आदर्श शिक्षक चयन योजना में हमें आदर्श शिक्षक के रूप में चुना गया। बच्चों की उपस्थित शत प्रतिशत रखने, उन्हें साफ सुथरा रखने एवम् उनमें और बेहतर करने की प्रतिस्पर्धा बढ़ाने हेतु हमने हर 3 महीने में हर क्लास से 10, 10 बच्चों को स्टेशनरी आदि देकर सम्मानित करने की योजना बनायीं। स्कूल के परिसर को आकर्षक बनाने में सामाजिक सहयोग मिला तो परिसर खूबसूरत बन गया। स्कूल की दीवारों पर फ्लैक्स एवं पेंटिंग से और आकर्षक बनाया। समय- समय पर बच्चों को भ्रमण पर ले गये। एक बार साइंस एक्सप्रेस का भ्रमण कराया। ठंडी में सभी बच्चों को अपने एक मित्र के संगठन से स्वेटर दिलाया। इधर अगस्त- 2015 में हमारे स्कूल में हेड मिस्ट्रेस श्रीमती उर्मिला मिश्रा और सहायक शिक्षिका प्रीती श्रीवास्तव की पोस्टिंग हो गयी। जिससे हमारे इन प्रयासों को और गति मिली। नई प्रधानाध्यापिका और पूरी टीम के सहयोग से बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्कूल परिसर की खाली पड़ी जमीं पर सब्जियों की खेती शुरू हुई। रसोईया राम चरण, निर्मला और बच्चों के सहयोग से उत्पादित सब्जियाँ जैसे- गोभी, टमाटर, बैगन, भिन्डी, लौकी, प्याज खासकर मक्के का रिकार्ड  उत्पादन किया गया। जिसका बच्चों के साथ शिक्षकों और अन्य स्टाफ ने आनन्द लिया। हमारे उस फसल को देखने बीएसए सर के अलावा दूसरे विभाग के अधिकारी भी आये। सबने हम सबकी तारीफ की। हमारी टीम की मेहनत का परिणाम रहा कि हमारे बच्चों ने इस साल गेम्स में ब्लॉक और ज़िला स्तर की विभिन्न प्रतियोगिताओं में टॉप करते हुए स्टेट लेवल तक खेले। हमारे कार्यों और गतिविधियों को जिले के सभी प्रमुख समाचार पत्रों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने पूरा सहयोग किया। सोसल मीडिया पर भी अन्य साथियों के मनोबल बढाते रहने के कारण, हमेशा कुछ नया और बेहतर करने की प्रेरणा मिलती रही। जिससे आज हमारा स्कूल जिले ही नहीं वरन प्रदेश स्तर के स्कूलो में शुमार है। इस मेहनत के परिणामस्वरूप हमें सांसद माननीय आलोक तिवारी, ए○ एन○ डी○ यूनीवर्सिटी के बी○ सी○ श्री अख्तर हबीब, डी○ एम○ श्री अनिल कुमार एवं कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने सम्मानित कर उत्साहवर्धन किया। इसके अतिरिक्त अभी हाल ही में हमारे स्कूल का चयन माननीय प्रधानमंत्री विद्यांजलि योजना के लिए भी नामित किया है।
मिशन संवाद की ओर से डाॅ○ सर्वेष्ट मिश्र और उनकी सहयोगी टीम को बहुत बहुत शुभकामनाएँ!
मित्रों आप भी बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा आयेगा।
हम सब हाथ से हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
विमल कुमार
कानपुर देहात
15/06/2016

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