४१- अंकेश्वर प्रसाद महिपाल, नवीन प्रा० शाला केसरी दानीपारा, पाटन, दुर्ग, छत्तीसगढ़

मित्रों आज हम अपने देश की विविधता भरी संस्कृति के विभिन्न रंगों के बीच में आपसी सीखने- सिखाने के मिशन संवाद के माध्यम से आपका परिचय जनपद- दुर्ग(छत्तीसगढ़) के सकारात्मक सोच और ऊर्जा के धनी कर्मठ शिक्षक भाई अनकेश्वर प्रसाद महिपाल से करा रहे हैं। जिन्होंने मात्र दो वर्षों में विद्यालय को एक नयी पहचान दिलाने का काम किया है। आपने विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बच्चों में अमिट छाप छोड़ी है।
तो आइये जानते हैं। स्वयं महिपाल जी के शब्दों में---
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मैं अनकेश्वर प्रसाद महिपाल नवीन प्राथमिक शाला केसरा (दानीपारा) में सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत हूँ। इस शाला में आये हुए मुझे दो वर्ष भी नहीं हुआ है। आप जितने भी फोटो देख रहे हैं वो दो साल से कम समय का है।
 1-मैं जब इस स्कूल में आया तो मुझे बहुत सी कमियाँ नजर आयीं क्योंकि मैं एक माडल स्कूल से एक सामान्य स्कूल में आ गया था। यहाँ पर बाउंड्री भी अधूरा था, बालिका शौचालय नहीं था, शाला भवन का BALA के रूप में कार्य नहीं हुआ था, अध्यापन कक्ष की दीवारें कोरी थी, खेल सामग्री का अभाव, पाठ्य सहगामी क्रियाकलाप का अभाव था, तथा बच्चों का शैक्षणिक स्तर भी सामान्य था। फिर मैंने इस स्कूल को भी बेहतर बनाने की कोशिश की। पहले तो अध्यापन कक्ष को बच्चों से मिलकर सजाया, सभी कक्ष में पुस्तक कार्नर बनाया, पुस्तकालय को व्यवस्थित किया, शिक्षण विधि को रूचिकर बनाने का प्रयास किया, पाठ्य सहगामी क्रियाकलाप को बढाया, बच्चों से मिलकर पर्याप्त TLM बनाया, गतिविधियों का प्रयोग किया, अहाता और शौचालय का उच्च अधिकारियों से मांग की जो शीघ्र ही पूरी हुई। स्कूल में किचन गार्डन की शुरुआत, विद्यालय संचय कोष की स्थापना की। कला शिक्षण को बढावा दिया, शाला भवन में पेंटिंग कार्य हरित क्रांति के आय से कराया। पालकगण से संपर्क बढाया। ग्रामीण भी शाला विकास में योगदान दिये। जनसहयोग से फिसलपट्टी निर्माण किया जाना है। शाला विकास में मेरा भी कुछ राशि लगा है जिसका मैं हिसाब नहीं रखता। शाला में मुझे मिलाकर चार स्टाफ है। बाकी शिक्षक भी शाला विकास में भरपूर योगदान देते हैं। मेरे सभी नये कार्य में सहयोग करते हैं। छात्रों की संख्या गत वर्ष 100 था,  इस वर्ष दर्ज बढेगा। छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए शाला का रूचिकर माहौल बनाया तथा पालकों से सतत संपर्क किया। हमारे शाला की औसत उपस्थिति 95% से अधिक है, मैंने इस वर्ष मात्र तीन छुट्टी ली है। सत्र 2015-16 में छत्तीसगढ में शिक्षा गुणवत्ता अभियान चलाया जिसमें हमारे शाला को A ग्रेड प्राप्त हुआ, हमारे संकुल के अन्य सभी स्कूल A से नीचे था।100 में से 97% अंक के साथ विकास खंड पाटन में द्वितीय स्थान पर है। स्कूल गतिविधियों की विडियो को जिला स्तर पर प्रदर्शित किया गया। यहाँ पर विभिन्न प्रकार के शैक्षणिक गतिविधियों और नवाचारों का प्रयोग किया जाता है जो अन्य स्थानीय स्कूलों में नहीं होता है। अन्य स्कूलों के शिक्षक तथा बच्चे यहाँ शैक्षिक भ्रमण में आने लगे हैं। कई तरह के नए tlm, चार्ट, मुखौटा, मैंने यहाँ बनाया है। मुझे शिक्षा विभाग के द्वारा जनपद स्तरीय विशिष्ट शिक्षक सम्मान प्रदान किया गया है। कविता लेखन के लिए कई अन्य पुरस्कार मिला है। अन्य शिक्षक साथियों के लिए मेरा सुझाव है कि यदि हम ठान लें तथा पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ समर्पित होकर शिक्षण करें तो विपरीत परिस्थिति में भी हम अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। हमें पुरस्कार के लिए नहीं भारत के भविष्य के लिए कार्य करना चाहिए। यदि हमारे छात्र हमसे कुछ सीखता हैं तो यही हमारा सबसे बडा पुरस्कार होना चाहिए।
आओ हम कुछ कर दिखायें, हर बच्चे के लिए एक बेहतर स्कूल बनाये।।
पालक सच्चे, शिक्षक अच्छे।     
स्वच्छ विद्यालय, मुस्कुराते बच्चे।।
मित्रों आपने देखा कि एक शिक्षक यदि अपने विचार बदलता है तो उसका असर एक विद्यालय और उसके बच्चों पर कितना पड़ता है।
मिशन संवाद की ओर से ऐसे सकारात्मक विचारों के चिंतक भाई अनकेश्वर प्रसाद महिपाल (अंकेश) और उनके सहयोगी विद्यालय परिवार को बहुत बहुत शुभकामनाएँ!
मित्रों आप भी बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा आयेगा।
हम सब हाथ से हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
विमल कुमार
कानपुर देहात
24/06/2016

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