युद्ध अनाथों का विश्व दिवस

बचपन  है  जीवन का स्वर्णिम  काल,

भय, तनाव, चिंता से मुक्त हो हर हाल।

लेकिन  कुछ पड़ती है युद्धों  की  मार,

अपनों के खोने का दर्द मिलता अपार।।


विनाशकारी युद्धों को रोके यह संसार,

अनाथालयों में बच्चे  सिसकते बारम्बार।

युद्ध  के दुष्परिणामों  से उन्हें  मिलते,

बदतर भविष्य  और  सिर्फ  अंधकार।।


अनेक कष्टों को सहते निर्दोष बालक,

युद्ध पीड़ितों को, मिलते नहीं पालक।

सामाजिक-भावनात्मक आघात है मिलता

कौन जिम्मेदार? सुधारे  उनकी  हालत।। 


एक फ्रांसीसी संगठन ने संकल्प उठाया,

युद्ध में अनाथ हुए बच्चों को राह दिखाया।

जन-जागरूकता को फैलाया समाज में,

6 जनवरी 'युद्ध अनाथों का दिवस' मनाया।। 


चलो किसी अनाथ को  हम अपनायें,

वो भी अब सभ्य बेहतर भविष्य पायें।

संघर्ष क्षेत्रों के बच्चों का हो कल्याण,

कुछ ऐसा अलग अनोखा कर जाएँ।। 


रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

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