विश्व गुरु (स्वामी विवेकानंद)

12 जनवरी सन् 1863 को जन्म लिया,

विश्वनाथ दत्ता को पिता बनाया।

माता भुवनेश्वरी देवी ने नाम नरेंद्र धराया,

श्री राम कृष्ण को अपना गुरु बनाया।।


भारतीयों के उत्थान को अपना लक्ष्य बनाया,

भारतीय संस्कृति का परचम जग में लहराया।

दीन दुखियों की सेवा को अपनी पूजा माना,

मुझे विवेकानंद नाम से सारे जग ने पहचाना।।


उठो, जागो और रुको मत,

ऐसा सुविचार सबको दिया।

युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन,

ऐसा सुंदर सबको नारा दिया।।


हॉवर्ड और कोलंबिया के प्रतिष्ठित ऑफर,

स्वामी जी ने मन से अस्वीकार किया।

भाई-बहन का पहला संबोधन देकर,

पूरे विश्व को आश्चर्यचकित किया।।


4 घंटे गीता पढ़ने की तुलना में,

2 घंटे हल चलाने का विचार दिया।

कबीर के बाद स्वामी विवेकानंद ने,

पाखंड, रूढ़िवाद का जमकर विरोध किया।।


भारत में ऐसे सुंदर महापुरुष,

जन्म नहीं लिया करते बार-बार।

आओ हम सब उनसे शिक्षा लें,

आगे उनके शीश नवाएँ बार-बार।।

             

 रचयिता

साधना,

प्रधानाध्यापक
कंपोजिट स्कूल ढोढ़ियाही,
विकास खण्ड-तेलियानी,
जनपद-फतेहपुर।



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