गुरु महिमा प्रताप

आसक्ति अनुराग, तम  तमि चिराग।

ऐश्वर्य अहिवात, आहूत  करामात।।


आत्म विश्वास दृढ़ निश्चय, प्रेरणास्रोत।

जगाते अन्तर्मन में, ज्ञान प्रकाश पुँज।।


जला ज्ञान दीप का, उज्ज्वल प्रकाश।

करते मन निर्मल, आता तेज प्रताप।।


जीवन अरूणोदय, करते दूर दृष्टि भाव।

इंदू, हिमांशु, सौम्य छवि मृदु छाँव।।


सुरक्षा त्राण, लोक तेज ओजपूर्ण आलोक।

मन कलुषता को हर, दे ज्ञानपूर्ण लोक।।


सुखद सुख अनुभूति, स्वयं प्रीति पाठ।

कराते ध्यान परमब्रह्म, सचिदानंद आप।।


शूरवीर कृपाण, आलिम ज्ञानवान।

अनवरत मार्ग दर्शन, भवसागर तार।।


ब्रह्म महूर्त में, पंचजन्य शंखनाद।

पाप पुण्य का भेद बता, ले आए साथ।।


गुरु शून्य से, अनन्त तक सफर।

देवतुल्य गुरु को, शत-शत नमन।।


रचनाकार
अंजनी अग्रवाल "ओजस्वी",
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सेमरुआ,
विकास खण्ड-सरसौल, 
जनपद-कानपुर नगर।



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