गुरु पूर्णिमा

एक है भारत, एक रहेगा,

हर कोई यह जान ले।

अद्भुत गुणी, शक्तिशाली हम,

दुनिया इसको मान ले।।


धीर-वीर और परम योगियों,

की भारत राजधानी।

दधीचि, गार्गी, परशुराम का,

नहीं है कोई सानी।।

दिया विश्व को ज्ञान पुँज जो,

जन-जन का कल्याण है।

एक है भारत.............


वेद, पुराण, उपनिषद में है,

ज्ञान का भरा पिटारा।

दुनिया हतप्रभ देख-देख के,

अनुपम भारत प्यारा।।

गीता का उपदेश दिया,

श्री कृष्ण ने नव अवतार ले।

एक है भारत.............


ग्रंथ व्याकरण अष्टाध्यायी,

पाणिनि ने रच डाला।

योग साधना पतंजलि का,

सच में बड़ा निराला।।

आर्यभट्ट और वराहमिहिर ने,

दिया खगोल का ज्ञान है।

एक है भारत..............


नानक, कबीर, बुद्ध की धरती,

तिमिर को दूर भगायी।

भारत के गुरुजनों ने मिलकर, 

शांति की राह दिखायी।।

सच्चे पथ के अनुगामी हम,

सत्य हमारी शान है।

एक है भारत....................


रवीन्द्रनाथ टैगोर, दयानंद, 

अटल, कलाम और शास्त्री।

अपने कृतित्व और व्यक्तित्व से,

धरा को किए सुवासित।।

नभ, जल, थल आह्लादित होकर, 

करते अब गुणगान हैं।

एक है भारत...................


रचयिता

अरविन्द कुमार सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय धवकलगंज, 
विकास खण्ड-बड़ागाँव,
जनपद-वाराणसी।

Comments

Total Pageviews