गुरु पूर्णिमा

आषाढ़ मास की पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं,

गुरु के प्रति सम्मान, पूजन, नमन् सर हम झुकाते हैं।

हम सब के प्रथम गुरु तो माता-पिता कहलाते हैं,

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं।


बिना गुरु के जीवन में सदा रहे अज्ञानता की भरमार,

मिले गुरु तो हमारे जीवन में छाए उजाले की भरमार।

करें जो गुरु का सम्मान, मिले आशीष, बढे़ पद - भार,

गुरु की महिमा अनन्त, गुरु की लीला अपरम्पार।


गुरु ने सदा हम सबको शान्ति का पाठ पढ़ाया,

अक्षर, ज्ञान, शिक्षा हम सभी को गुरु ने ही सिखाया।

भर दिया ज्ञान का भन्डार मन में, हमें आगे बढ़ना सिखाया,

क्या होती है गुरु शिष्य की परम्परा, बाल्मीकि ने हमें सिखाया।


रचयिता

शालिनी,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय बनी, 

विकास खण्ड-अलीगंज,

जनपद-एटा।

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