बटुकेश्वर दत्त

महान क्रांतिकारी सेनानी,

बटुकेश्वर दत्त था नाम।

मातृभूमि के लिए था जन्मा,

देशप्रेमी शांतचित्त नौजवान।।


18 नवंबर 1910 को,

बंगाली परिवार में जन्म लिया।

मिले कानपुर में भगत सिंह से,

एचएसआरए का रुख किया।।


ब्रितानी संसद बिल लायी,

पब्लिक सेफ्टी और ट्रेड का।

उद्देश्य क्रांतिकारियों पर,

नकेल कसने का था।।


भगत सिंह और दत्त ने,

असेंबली में फेंका बम।

स्वेच्छा से दी गिरफ्तारी,

ऐसा दिखाया था दम-खम।।


मिला आजीवन कारावास,

चला लाहौर षड्यंत्र केस।

काला पानी की मिली सजा,

भेजे गये अंडमान की जेल।।


असहयोग आंदोलन में भी,

बढ़-चढ़कर था भाग लिया।

स्वतंत्रता के पश्चात फिर,

अंजली दत्त से विवाह किया।।


आजादी के बाद भी,

दुश्मनों ने पीछा ना छोड़ा।

कभी बन टूरिस्ट गाइड,

सड़कों की धूल छानना पड़ा।।


1964 में हुए बीमार,

दशा कुछ ऐसी हुई।

क्या? भारत में जन्म लेकर,

दत्त से कोई भूल हुई।।


लगा दी बाजी प्राणों की,

आजाद देश के खातिर।

एड़ियाँ रगड़ रहा था वह,

अपने इलाज की खातिर।।


सत्ता के गलियारों में,

हलचल हुई जरा देर से।

महान क्रांतिकारी की,

मृत्यु हो गई कैंसर से।।


भगत सिंह के बगल में ही,

बनाओ समाधि मेरी।

कहकर यह आखिरी शब्द,

छोड़ गए दुनिया अंधेरी।।


रचयिता

ज्योति विश्वकर्मा,

सहायक अध्यापिका,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,

विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,

जनपद-बाँदा।

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