कारगिल विजय दिवस

आजाद हुआ जब देश हमारा,

विभाजन का दंश तभी झेला।

जाते-जाते अंग्रेज नीच वो,

कर गए थे कैसा खेला।।


जन्मा पाकिस्तान तभी से,

नापाक इरादे जिसके।

स्वर्ग धरा का कश्मीर हमारा,

आँखों में समाया उसके।


सांठगाँठ कर ड्रैगन से,

सारी नीचता करता वो।

कश्मीर पाने की चाह में जतन,

सैंतालीस से करता आया था वो।।


बार-बार खाया मुँह की,

छल-प्रपंच से बाज ना आया।

निन्यानबे में कारगिल की,

टाइगर हिल्स को निशाना बनाया।।


पहुँचाथा ऊँचाई पर दुश्मन,

नीचे देश के रक्षक दीवाने।

दिखाया जोश आजाद भगत सा,

हार ना जो बिल्कुल भी माने।।


तीन महीने युद्ध चला और,

दुश्मन ने मुँह की खाई थी।

जाने कितनी माँओं ने फिर,

सूनी गोद कराई थी।।


उजड़े कितने ही सुहाग,

बच्चे-बूढ़े हुए अनाथ।

लगाया पूरा जोर पाक ने,

पूरे ना हुए इरादे नापाक।।


गीदड़ के भेष में भेड़ों को,

सियाचिन शेरों ने मार भगाया।

सीना तान बने सीमा रक्षक,

टाइगर हिल्स फिर अपना बनाया।।


सौरभ कालिया, कैप्टन मनोज,

गिल, रणवीर और ढाका।

न जाने कितने वीरों की यह,

दिन याद दिलाए शहादत का।।


रचयिता

ज्योति विश्वकर्मा,

सहायक अध्यापिका,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,

विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,

जनपद-बाँदा।

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