प्यारी सी हूँ मैं तेरी गौरैया

'परि' को पेड़ों का आवरण,

प्राण वायु का करे संचरण।.......


आओ धरती को सरसायें

जगह-जगह पर पेड़ लगायें

धरती  पर  पानी   बरसायें

शस्य-श्यामला  उसे बनायें

अपने हाथों करें अलंकरण।.......


फुदक-फुदक बोले गौरैया

ठाँव नीड़ का खोजे गौरैया

मुझे बचा लो ओ मेरे भइया

प्यारी सी हूँ मैं तेरी गौरैया

तुम कर सकते हो मेरा भरण।.....


मिलकर  पर्यावरण  बचायें

अपना जीवन सुलभ बनायें

जीव-जन्तु को मित्र बनायें

सम्पूर्ण धरा परिवार बनायें

प्रस्तुत करें  नया उदाहरण।.......


नदियों से जुड़ जाये आस्था

जल संचय की करें व्यवस्था

बन जाये  कुछ  ऐसी संस्था

निकल सके कोई नया रास्ता

अभ्यारण्य का हो  संरक्षण।.......


पर्यावरण हो गया प्रदूषित

ओजोन परत हो रही क्षरित

हो रहा ग्लेशियर भी द्रवित

हैं ताल-पोखरे  जल रहित

अब हो जाये विश्व जागरण।......


पर्वत शिखरों को मत काटो

ताल-पोखरों को मत पाटो

दुनिया को अलग मत बाँटो

विकास हेतु पेड़ मत काटो

हो जाएगा नया अवतरण।......


रचयिता
डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश',
सहायक अध्यापक, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बेलवा खुर्द, 
विकास खण्ड-लक्ष्मीपुर, 
जनपद-महराजगंज।

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