48/2025, बाल कहानी- 18 मार्च


बाल कहानी - बेईमानी का फल
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आनन्द, मोहन और रमन तीनों भाई थे। आनन्द और मोहन बहुत ही सीधे और सरल स्वभाव के व्यक्ति थे जबकि रमन बहुत ही चालाक और धूर्त इन्सान था।
एक बार मोहन ने बड़ी मेहनत से पाई-पाई इकट्ठा करके एक मकान बनवाया और खुशी-खुशी अपने परिवार के साथ रहने लगा। एक दिन अचानक काम के सिलसिले में उसे और उसके परिवार को बाहर जाना पड़ा। रमन की नीयत घर देखकर खराब हो गई। वह ताला तोड़कर घर में घुस गया और वहाँ पर अपना अधिकार जमा लिया।
मोहन जब वापस आया तो यह सब देखकर उसके होश उड़ गए। वह और उसका परिवार बेघर हो गए थे। ऐसे मुश्किल समय में भी मोहन और उसके परिवार ने झगड़ा करने के बजाय धैर्य से काम लिया और सब कुछ ऊपरवाले पर छोड़ दिया। इस बात का दोनों पति-पत्नी को बहुत दु:ख था।
वक्त बीतता गया। रमन अपने जीवन में मगन था। उसको जरा भी आभास नहीं था कि उसने कुछ अनुचित किया है। रमन को अपने कर्मों फल तो भोगना ही था।
रमन और उसकी पत्नी सुनंदा पर अब विपत्ति आनी शुरू हो गयी। बीमारियों ने उन्हें घेर लिया।
एक रात जब रमन और उसकी पत्नी कहीं बाहर गये तो उनके घर लाखों की चोरी हो गयी। नियति ने उनसे भाई का हक वसूलना शुरू कर दिया था।
कई वर्ष विवाह के पश्चात भी रमन और उसकी पत्नी माता-पिता बनने को तड़प रहे थे लेकिन उनको कोई सन्तान नहीं हो रही थी। इतने पर भी रमन को अपनी गलती का एहसास नहीं था।
एक दिन रमन को एक बहुत गम्भीर बीमारी हो गई। इलाज कराने पर भी उसे आराम नहीं मिल रहा था। उसको समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे?
तभी घर के बाहर एक फकीर की आवाज आयी, "भूखे को कुछ खाने को दे दो। ऊपरवाला तुम्हारा भला करेगा।"
रमन की पत्नी फकीर को खाना देने गयी और रो-रोकर अपने पति के लिए दुआ करने को कहने लगी, "बाबा! समझ में नहीं आ रहा है कि हम क्या करें?" रमन की पत्नी बोली।
बाबा ने पूछा, "क्या तुम दोनों ने कभी किसी अपने का दिल दुखाया है? क्या उसके अधिकार को छीना है ?"
रमन की पत्नी के आँखों से आँसू निकलने लगे। उसको पुरानी सब बातें याद आ गईं। उसे बहुत पछतावा हुआ।
उसने बाबा से पूछा, "अब मैं क्या करूँ, बाबा?"
बाबा ने कहा, "बेटा! तुम दोनों पति-पत्नी अभी इसी समय जाओ और अपने भाई से क्षमा माँगो।क्योंकि उनकी माफी से ही तुम्हारे पाप धुलेंगे और तभी तुम दोनों सुखी रहोगे।"
दोनों पति-पत्नी, मोहन और उसकी पत्नी से माफी माँगने गये। मोहन ने तो अपने भाई को माफ कर दिया लेकिन सुमित्रा ने अपने आँसू माफ नहीं किए। उसके आँसुओं की कीमत रमन को चुकानी पड़ी। लंबी बीमारी के बाद उसका निधन हो गया। एक टुकड़ा जमीन के लिए रमन ने जिन रिश्तों को तार-तार किया। आज उसी एक टुकड़ा जमीन मे वह समा चुका था।

#संस्कार_सन्देश -  
अगर रिश्ते और ज़मीन में किसी एक को चुनना पड़े तो हमेशा रिश्ते चुनना। घर तो फिर बन जायेंगे, लेकिन रिश्ता दोबारा मिलना मुश्किल है।

कहानीकार-
#रूखसार_परवीन (स०अ०)
संविलयन विद्यालय गजपतिपुर
बहराइच (उत्तर प्रदेश)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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