प्यारी गौरैया
छोटी सी प्यारी गौरैया
घर आँगन की रौनक थी।
आँगन भी खिल जाते थे
फुदक-फुदक जब उड़ती थी।
फिर पेड़ कटे, झरने सूखे
मौन हुई गलियाँ कूचे।
गौरैया की चहक में
धरती मैया भी हँसती थी।
आओ फिर से उसे बुलाएँ
दाना रखें, पेड़ लगाएँ।
चहके फिर से गौरैया
जो खो गई सिसकती सी।
गौरैया की मीठी पुकार
लाएगी धरती पर बहार।
इठलाती सी आएगी फिर
नन्हीं चिड़िया वो चहकती सी।
नीड़ हमारे हों गुलजार
जब वो चले फुदकती सी।
रचयिता
डॉ0 निशा मौर्या,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मीरजहांपुर,
विकास खण्ड-कौड़िहार-1,
जनपद-प्रयागराज।
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