महिला सशक्तिकरण विशेषांक-313

*👩‍👩‍👧‍👧महिला सशक्तीकरण विशेषांक -313*
*मिशन शिक्षण संवाद परिवार की बहनों की संघर्ष और सफ़लता की कहानी*


(दिनाँक- 09.03.2025)
नाम: रत्ना यादव
पद - प्रधानाध्यापक
विद्यालय- प्राथमिक विद्यालय सिहारी,  घाटमपुर, कानपुर नगर
*सफलता एवं संघर्ष की कहानी :-*👇
★प्रथम नियुक्ति/सामाजिक सेवा की शुरुआत- 11 मार्च सन 2000 (विशिष्ट बीटीसी) प्राथमिक विद्यालय- कालाबोझ, विकासखंड- ऐरवा कटरा, जनपद औरैया ।
★वर्तमान  नियुक्ति/वर्तमान कार्यक्षेत्र-7 अप्रैल सन 2018 मॉडल स्कूल सिहारी (अंग्रेजी माध्यम में चयनित) विकासखंड घाटमपुर कानपुर नगर ।
★प्रारम्भिक परिचय- स्नातक अंतिम वर्ष में अध्यनरत होने के साथ ही बीएड प्रवेश परीक्षा में प्रथम प्रयास में ही मेरा चयन हो गया । B.Ed कोर्स पूर्ण करने के बाद मैं परास्नातक की पढ़ाई पूरी कर रही थी की तभी विशिष्ट बीटीसी शिक्षक भर्ती 1999 की विज्ञप्ति निकली, जिसमें मैंने भी आवेदन किया और एक शिक्षक के रूप में मेरा चयन हो गया । फिर मैंने प्राथमिक विद्यालय कालाबोझ, विकासखंड ऐरवा कटरा,जनपद औरैया में सहायक अध्यापिका के पद पर कार्यभार ग्रहण किया ।
★विद्यालय/जीवन की समस्यायें एवं समाधान - मेरी प्रथम नियुक्ति का विद्यालय जब मैंने ज्वाइन किया वहां केवल एक प्रधानाध्यापक थे । इसके पूर्व एकल अध्यापक होने के कारण विभागीय कार्यों को पूरा करने हेतु प्रधानाध्यापक महोदय को जब कहीं जाना होता तो अक्सर विद्यालय बंद हो जाता था जिसके कारण विद्यालय में छात्र संख्या बहुत कम थी तथा गांव वालों में भी इस बात का बहुत रोष था की विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है । गृह जनपद से दूर नियुक्ति होने के कारण मैंने वही किराए का कमरा लेकर रहने का निर्णय लिया । धीरे-धीरे प्रयास करके विद्यालय की स्थिति में सुधार होने लगा, छात्र संख्या तथा उपस्थित दोनों में ही वृद्धि होने लगी साथ ही अभिभावक भी बच्चों की शिक्षण व्यवस्था से खुश होने लगे और उनका व्यवहार भी विद्यालय के प्रति सहयोगात्मक होने लगा ।
मेरे 25 वर्षों के सेवाकाल में मैं जिस भी विद्यालय में रही वहां पर अपने अध्यापन कार्य, रोचक गतिविधियों से बच्चों को सीखना सिखाना,पाठ्य सहगामी क्रियाकलापों आदि से सदैव अपने बच्चों की प्रिय शिक्षिका रही हूं तथा अभिभावको और समुदाय का भी पूरा सहयोग प्राप्त होता रहा है ।
    मेरे वर्तमान विद्यालय में मैंने वर्ष 2018 में प्रधानाध्यापिका पद पर कार्यभार ग्रहण किया ,उस समय विद्यालय की छात्र संख्या 158 थी, किंतु बच्चों की उपस्थिति अनियमित थी । मैंने घर-घर जाकर अभिभावकों से संपर्क कर बच्चों को विद्यालय भेजने हेतु प्रेरित किया । विद्यालय के भौतिक परिवेश को बच्चों के अनुरूप बनाया ,जिससे बच्चे विद्यालय आने हेतु प्रेरित होने लगे और नियमित रूप से बच्चों के बीच नई-नई गतिविधियां करवाने लगी जिससे आसपास के क्षेत्र में मेरे विद्यालय और कार्यशैली से प्रभावित होकर बच्चों का नामांकन बढ़ने लगा और छात्र संख्या 250 से ऊपर पहुंच गई विद्यालय में बच्चों के  बैठने हेतु पर्याप्त स्थान का अभाव होने के कारण अधिक नामांकन कर पाना संभव नहीं है, अन्यथा निश्चित रूप से मेरे विद्यालय में नामांकन 300 से 400 के बीच होने की प्रबल संभावनाएं रहती हैं । विद्यालय भवन  को मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बनाने अथवा अन्यत्र पर्याप्त स्थान के साथ भवन बनाने हेतु मैं शासन, विभाग तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों से निरंतर अपने स्तर से प्रयासरत हूं जिससे विद्यालय का नामांकन बढ़कर बच्चों को और अच्छी शिक्षा देने की सुविधा मुहैया करा सकूं।
★स्वयं के जीवन के संघर्ष एवं सफलताएँ- मेरा जीवन स्वयं ही एक रोचक कहानी है । बचपन से ही मेरी  पढ़ाई में बहुत रूचि रही। जब मेरे साथ के बच्चे खेलते उस समय मैं अपने प्रिय विषय की किताबें पढ़ती । पढ़ लिख कर कुछ बनने का एक जुनून बचपन से ही था। अचानक एक सड़क दुर्घटना में अपने पापा को खो देने के बाद हाइस्कूल पास करने के बाद मेरे दादा जी ने मेरी पढ़ाई बन्द करने को कह दिया। पढ़ाई के प्रति मेरी लगन और मेहनत को समझने वाले मेरे मामा जी ने मुझे हौसला दिया और मेरी पढ़ाई को जारी रखने के लिए खर्च उठाने की जिम्मेदारी भी ली। मेरी मां और मामाजी ने हमेशा मुझे आगे बढ़ने का हौसला दिया। मैं किसी पर बोझ नहीं बनना चाहती थी इसलिए मैंने एक प्राइवेट स्कूल में ज्वाइन कर लिया, साथ ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्च स्वयं ही पूरा करने लगी। अंततः मेरी मेहनत और लगन रंग लाई।  बीएड पूरा करके परास्नातक के अन्तिम वर्ष के साथ ही एक शिक्षक के रूप में मेरी सरकारी नौकरी लग गई। बेसिक शिक्षा विभाग में आकर मुझे ये सौभाग्य मिला कि बच्चों को शिक्षित करके उनकी योग्यता को निखार कर जीवन में आगे बढ़ने हेतु प्रेरित कर सकूं।
★कार्यक्षेत्र की उपलब्धियाँ - 1-शिक्षागृह परीक्षा में  उत्कृष्ट परिणाम के लिए के लिए जिलाधिकारी महोदय द्वारा प्रशस्ति पत्र
2-माननीय बेसिक शिक्षा मंत्री द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान
3-नेशन बिल्डर अवार्ड
4-माननीय श्याम बिहारी मिश्रा जी द्वारा शिक्षक सम्मान पुरस्कार
5-सामाजिक सेवा संस्था परिकल्प द्वारा शिक्षक सम्मान
6-जनपद स्तर पर क्रीडा प्रतियोगिता में लगातार दो बार विद्यालय की टीम विजेता
7-विकास खंड स्तर पर आयोजित होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओ में विद्यालय प्रतिभागिता एवं विजेता
8-ब्लॉक सहसमवन्यक के पद पर सम्मानित
9- राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा सम्मानित
10-रोटरी क्लब द्वारा सम्मानित

★स्वयं की उपलब्धि- अपने 25 वर्षों के सेवा काल में बच्चों तथा अभिभावकों की प्रिय शिक्षक के रूप में उनका प्यार और आत्मीय सम्बन्ध मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है। मेरे पूर्व के विद्यालय के अभिभावकों द्वारा मुझे वापस विद्यालय में बुलाने के लिए प्रार्थना पत्र लिखना और गांव वालों से हस्ताक्षर करा कर अर्जी लगाने हेतु देना, मेरे लिए सभी पुरस्कारों से बड़ा पुरस्कार था।
मेरे पढ़ाए हुए बच्चे और उनकी सफलता मुझे निरंतर अपने कार्य क्षेत्र में और बेहतर करने हेतु प्रेरित करती है।
★मिशन शिक्षण संवाद के लिये संदेश- मैं मिशन शिक्षण संवाद और अपनी प्रिय बहन गीता जी की आभारी हूं जिन्होंने मुझे यह मंच और अवसर प्रदान किया की आज मैं अपने जीवन संघर्ष और सफलता की कहानी सबके साथ साझा कर सकी । निश्चित रूप से मिशन शिक्षण संवाद वह प्रेरणादायी मंच है जो हम सभी शिक्षकों को एक दूसरे से प्रेरित होकर आगे बढ़ने और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु प्रेरित करता है।

_✏संकलन_
ज्योति कुमारी
*📝टीम मिशन शिक्षण संवाद*

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