49/2025, बाल कहानी- 19 मार्च
बाल कहानी - पर्यावरण
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दो भाई थे- सोनू और मोनू। दोनों में बहुत प्यार था। सोनू बहुत समझदार था, जबकि मोनू बहुत शैतान। एक दिन पर्यावरण दिवस था। सोनू और मोनू के पापा ने दोनों बच्चों को दस-दस पौधे लाकर दिए और कहा कि, "तुम दोनों यह पौधे खेत में जाकर के लगा दो। देखते हैं, किसके पौधे सबसे ज्यादा विकसित होते हैं और उनमें फल और फूल लगते हैं।" सोनू तो खुश होकर खेत में जाकर पेड़ लगाने लगा और खुशी-खुशी पेड़ लगाकर घर भी आ गया। लेकिन मोनू ने सोचा कि, "मैं क्यों पेड़ लगाऊँ? मैं नहीं लगाऊँगा।" और उसने सारे पेड़ कहीं फेंक दिए। थोड़े दिन के बाद सोनू के पेड़ में फूल लगे और फिर फल भी लगे। जब भी सोनू के पेड़ को मोनू देखता तो उसे बहुत खराब लगता। उसे लगता कि इसके पास तो इतने सारे फूल हैं, फल भी हैं। मोनू उससे बोला, "कुछ फूल और फल मुझे दे दो।" सोनू ने समझाया और कहा, "जब कोई चीज हम स्वयं कर सकते हैं तो हमें दूसरों से क्यों माँगनी चाहिए? हमें नहीं माँगनी चाहिए तो अच्छा यह होता कि हम वह काम खुद करें।" तब सोनू की बात मोनू को समझ आ गई और उसने वादा किया कि, "अब से वह कोई भी पौधा इधर-उधर नहीं फेंकेगा और आगे से सभी पौधों को लगायेगा ताकि फल-फूल सभी को मिल सकें।
#संस्कार_सन्देश -
पर्यावरण हमारा, हम स्वस्थ रहें और स्वच्छ रहें। हमें इसकी सुरक्षा करनी चाहिए।
कहानीकार-
वंश पांडे (कक्षा- 8)
उच्च प्रा० वि० सेमरुआ,
सरसौल, कानपुर नगर
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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