51/2025, बाल कहानी- 21 मार्च

#दैनिक_नैतिक_प्रभात - 51/2025
21 मार्च 2025 (शुक्रवार)
#बाल_कहानी - #सड़क_है_घर_नहीं
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गीता और रानी दो सहेलियाँ थीं। दोनों गाँव में रहती थीं। स्कूल की छुट्टी होने के बाद दोनों सहेलियाँ अपनी बकरियाँ चराने के लिए गाँव से दूर सड़क पार कर दूर खेतों की तरफ ले जाती थीं।
एक बार दोनों सहेलियाँ अपनी-अपनी बकरियों को लेकर सड़क की तरफ चल पड़ीं। दोनों सहेलियों ने सोचा कि चारों तरफ मिट्टी है, क्यों न आज बकरियाँ सड़क के किनारे चरायें और यहीं सड़क पर बैठें। दोनों सड़क के किनारे पर बैठ गयीं। सड़क पर काफी वाहन आ-जा रहे थे। पर दोनों सहेलियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था। हर आता-जाता वाहन दोनों को बचाता हुआ जा रहा था। 
अचानक एक ट्रक आया, जिसकी गति काफी तेज थी। दोनों सहेलियाँ सड़क के किनारे बैठी हुईं थीं, ट्रक ड्राइवर ने ब्रेक लगाये, लेकिन वह नियन्त्रण खो बैठा और सड़क के किनारे जाकर एक बकरी को टक्कर मारते हुए गड्ढे में घुस गया।
दोनों सहेलियाँ घबरा गयीं और सड़क से उठकर दूर खड़ी हो गईं। ट्रक के अन्दर से ड्राइवर और क्लीनर निकल कर बाहर आये। दोनों लोगों ने दोनों सहेलियों को खूब डाँटा और कहा कि, "यह सड़क वाहनों के चलने के लिए है न कि लोगों के बैठने के लिए है। क्या तुम नहीं जानती थीं कि आज तुम्हारी जान चली जाती। आज के बाद तुम दोनों कभी सड़क पर नहीं बैठोगी। अगर बैठना है तो सड़क से काफी दूर जाकर बैठो।" दोनों सहेलियों को समझ में आ गया था। आज के बाद उन्होंने वादा किया कि, "वह कभी भी सड़क पर नहीं बैठेंगीं।" दोनों सहेलियाँ अपनी बकरियों को इकट्ठा कर एक सीख लेते हुए घर चली गयीं।

संस्कार सन्देश-
सड़क वाहनों के चलने के लिए है, इंसानों के बैठने के लिए नहीं है।

कहानीकार- 
#शालिनी (स०अ०) 
प्रा० वि० रजवाना 
सुल्तानगंज, जनपद- मैनपुरी

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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