विषय- संस्कृत, टापिक- सन्धि और उसके प्रकार, शीट क्रमांक -08/2025, दैनिक संस्कृत शिक्षण


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क्रमांक:- 08/2025

#दैनिक_संस्कृत_शिक्षण (अभ्यास कार्य)

दिनाँक- 20/03/2025 

दिन- गुरुवार 

प्रकरण- #सन्धि_और_उसके प्रकार 

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सन्धि-

समीपवर्ती दो वर्णों के मेल को सन्धि कहते हैं। अन्य शब्दों में, जब दो वर्ण समीप आते हैं, तो एक-दूसरे की निकटता के कारण पहले शब्द से अन्तिम वर्ण तथा दूसरे शब्द के प्रथम वर्ण में कुछ परिवर्तन हो जाता है, इस होने वाले परिवर्तन को सन्धि कहते हैं।


सन्धि के भेद-

सन्धि के तीन भेद होते हैं-

1- अच् (स्वर) सन्धि 2- हल् (व्यंजन) सन्धि 3- विसर्ग सन्धि ।


स्वर सन्धि-

दो समीपवर्ती अच् (स्वरों) के मेल को अच् (स्वर) सन्धि कहते हैं, जैसे-  (अ + आ = आ) पुस्तक + आलय: = पुस्तकालय: । 

अच् (स्वर) सन्धि के पाँच भेद या प्रकार हैं-

(अ)- दीर्घ सन्धि (ब)- गुण सन्धि (स)- यण् सन्धि (द)- वृद्धि सन्धि (य)- अयादि सन्धि ।

बच्चों! आज हम दीर्घ सन्धि के प्रथम प्रकार का अध्ययन करेंगे।


(1)- अक: सवर्णे दीर्घ: - (दीर्घ सन्धि)-

जब दो शब्दों में समान वर्ण आएँ, तो दोनों का मिलकर दीर्घ हो जाना 'दीर्घ सन्धि' कहलाता है। उदाहरण-

नियम                     शब्द                      

अ + आ = आ        शशांक:

आ + आ = आ       विद्यालय:

इ + इ = ई              अभीष्ट:

इ + ई = ई              मुनीश:

उ + ऊ = ऊ           सूक्ति:

ऋ + ऋ = ॠ       मातृणम्


सन्धि-विच्छेद: - शश  + अंक:

                      विद्या + आलय:

                      अभि + इष्ट:

                      मुनि + ईश:

                      सु + उक्ति:

                      मातृ + ऋणम् 

आग हम दीर्घ सन्धि के अगले प्रकार  यानि आद्गुण: (गुण सन्धि) पर चर्चा करेंगे।


तकनीकी सहयोगी एवं प्रमुख सहयोगी- #अरुण_कुमार #अम्बेडकर_नगर

एवं

#जुगल_किशोर_त्रिपाठी #झाॅंसी 


संकलन:- #टीम_मिशन_शिक्षण_संवाद

#दैनिक_संस्कृत_शिक्षण


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