47/2025, बाल कहानी- 17 मार्च
बाल कहानी - कर्म ही पूजा है
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गंगा किनारे बसे एक छोटे से गाँव में रामदीन नाम का एक किसान रहता था। वह बहुत मेहनती और ईमानदार था। रोज सुबह सूरज निकलने से पहले ही वह अपने खेतों में काम करने चला जाता और दिन-भर मेहनत करता।
वहीं उसी गाँव में श्याम नाम का एक व्यक्ति भी रहता था। वह हमेशा मन्दिर में बैठा रहता और भगवान से प्रार्थना करता कि, "बिना मेहनत के उसे धन और अनाज मिल जाए।" वह सोचता था कि केवल पूजा-पाठ करने से ही उसका जीवन सफल हो जाएगा।
एक दिन गाँव में भारी बारिश हुई, जिससे खेतों में पानी भर गया। रामदीन ने तुरन्त काम शुरू कर दिया। पानी निकाला और फसल की देखभाल की और अपनी मेहनत से फसल की रक्षा की। वहीं, श्याम मन्दिर में बैठा भगवान से प्रार्थना करता रहा कि, "उसकी मदद की जाए।" लेकिन जब बारिश रुकी, तो उसने देखा कि उसका घर भीगकर कमजोर हो चुका था और खाने को कुछ नहीं बचा था।
श्याम निराश होकर रामदीन के पास गया और बोला, "मैंने रोज़ भगवान की पूजा की, फिर भी मुझे कुछ नहीं मिला। लेकिन तुमने सिर्फ मेहनत की और तुम्हारी फसल बच गयी। ऐसा क्यों?"
रामदीन मुस्कुराया और बोला, "भगवान भी उन्हीं की मदद करते हैं, जो खुद मेहनत करते हैं। पूजा जरूरी है, लेकिन कर्म के बिना कुछ नहीं मिलता। अगर तुमने मेहनत की होती, तो तुम्हारी हालत ऐसी नहीं होती।"
श्याम को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने भी मेहनत करने का संकल्प लिया।
#संस्कार_सन्देश -
केवल प्रार्थना करने से कुछ नहीं मिलता। असली पूजा मेहनत और कर्म करना है।
कहानीकार-
#तिलक_सिंह (स०अ०)
उच्च प्रा० वि० फुसावली कम्पोजिट (1-8)
गंगीरी, अलीगढ़ (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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