महिला सशक्तिकरण विशेषांक-315
*👩👩👧👧महिला सशक्तीकरण विशेषांक- 315*
*मिशन शिक्षण संवाद परिवार की बहनों की संघर्ष और सफ़लता की कहानी*
(दिनाँक- 15.03.2025)
नाम :- शिप्रा सिंह
पद :- सहायक अध्यापिका
विद्यालय :- उ० प्र० विद्यालय रूसिया, अमौली, फतेहपुर
सफलता एवं संघर्ष की कहानी :-
प्रारंभिक परिचय:-
प्रथम नियुक्ति :- 10 सितम्बर 2018
मेरा जन्म कानपुर नगर में हुआ। यहाँ पर ही मैंने B.Sc., M.Sc., B.T.C., व M.A. की पढ़ाई की। मेरी नियुक्ति सितंबर 2018 में प्राथमिक विद्यालय रूसिया, फतेहपुर में हुई। व तब से अब तक मैं इसी विद्यालय में कार्यरत हूँ। शुरुआत से ही शिक्षण कार्य में रुचि व सहानुभूति रही है। मेरे आदर्श मेरे पिता जिनका सपना था, कि मैं शिक्षिका बनूँ। और वह सपना पूरे करने का सारा श्रेय मैं अपने माता-पिता व भाई को देना चाहूँगी। जिनकी वजह से आज हम शिक्षक कार्य में रुचि पूर्ण तरह से जुड़ाव महसूस करते हैं।
विद्यालय जीवन की समस्याएं एवं समाधान :-
यूँ तो समस्या हर जगह आती है। परंतु समस्याओं का समाधान निकालना, व उन्हें दैनिक जीवन में उपयोग में लाकर जीवन को सुचारू रूप से चलना ही कला है।
विद्यालय ज्वाइन करने के बाद मुझे भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। विद्यालय में नियुक्ति के बाद वहाँ पुरुष स्टाफ के बीच मै अकेली महिला शिक्षिका थी। विद्यालय का माहौल सहज था। परंतु विद्यालय में कई प्रकार की कमियाँ थी। विद्यालय का भौतिक परिवेश, बच्चों में अनुशासन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कमी, विद्यालय में बच्चों का ठहराव, पढ़ाई के लिए रुचि पूर्ण माहौल, शिक्षक और अभिभावकों के बीच में विश्वास आदि। विद्यालय में जॉइनिंग के बाद मन में अलग उत्साह व लगन थी, उसी विश्वास के साथ नियुक्ति के बाद मेरी पहली प्राथमिकता बच्चों के प्रति थी। व्यक्तिगत तौर पर बच्चों को जानना उनके दैनिक जीवन की समस्याएं उनके पारिवारिक माहौल आदि के बारे में जानना बहुत जरूरी था। तो मैने भी शुरुआत अपनी यहीं से की। कहते हैं बच्चों की पहली शिक्षिका माँ होती है, इसलिए बच्चों की समस्याओं को सुनकर विभिन्न प्रकार के मौकों पर जैसे मिशन शक्ति प्रोग्राम, महिला दिवस,मीना मंच, माता उन्मुखीकरण अभिभावक बैठक आदि विभिन्न मौकों पर मुझे अभिभावकों से जुड़ने का मौका मिला।
उनसे व्यक्तिगत तौर पर उनके बच्चों के बारे में बात करके, अभिभावकों विद्यालय सुख-सुविधाओं,बच्चों के अधिकारों आदि के बारे में धीरे-धीरे अवगत कराया। व निरन्तर प्रयासरत रहने के कारण सभी बच्चों में रहन-सहन, अनुशासन और बातचीत में बदलाव दिखने लगा।
स्वयं के जीवन के संघर्ष:-
वैसे तो संघर्ष सभी के जीवन में आते हैं, और संघर्ष नहीं तो जीवन कैसा। ईश्वर की कृपा से मैं बहुत सौभाग्यशाली रही हूँ, कि परिवार में मेरी पढ़ाई को लेकर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं रहा है। परिवार ने हमेशा ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। व सहज माहौल देने की कोशिश की। परंतु नियुक्ति के तौर पर मेरी नियुक्ति गृह जनपद में न होकर सुदूर घर से 100-120 कि०मी० दूसरे जनपद में हुई। जहाँ विद्यालय के आसपास रहने के लिए कोई पर्याप्त संसाधन नहीं थे। इसलिए मजबूरी वश गृह जनपद से ही विद्यालय आना-जाना होता था। जिसके लिए हर रोज काफी जल्दी जाना आना पड़ता था। कभी-कभी देर रात तक घर पहुँचना, व अगले दिन प्रातः सुबह ही निकालना पड़ता था। शुरुआत में सफर बहुत कठिन लगता था। लेकिन उस पर विद्यालय जाकर बच्चों का निश्छल प्रेम व उनका मेरे प्रति समर्पण देखकर मुझे बहुत ही खुशी होती थी। व मैं भी हर रोज विद्यालय आने के लिए उत्साहित रहती थी। इसलिए रास्ते की दूरी को कभी स्वयं पर हावी नहीं होने दिया। बच्चों का मेरे प्रति लगाव एक उम्मीद की मैम आएंगी। और हर रोज का इंतजार हमें स्वयं प्रेरित करता रहा। और वह दूरी कभी दूरी सी नहीं लगी।
कार्यक्षेत्र में उपलब्धियाँ :-
1. उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान 2022
2. मिशन शक्ति प्रेरणा सम्मान 2023
3. अमर उजाला शिक्षक शिरोमणि सम्मान 2024
4. मिशन शिक्षण संवाद नवाचार सम्मान 2020
5. मिशन शिक्षण संवाद हिंदी हिंदी दिवस सम्मान 2020
6. मिशन शिक्षणसंवाद रेड टेप मोमेंट सम्मान 2021, 2022, 2023, 2024
7. जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण (अभिनव पर्व) नवाचार सम्मान 2023
8. मिशन शिक्षण संवाद शिक्षा रत्न सम्मान 2022
9. आजादी का अमृत महोत्सव उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान 2023
10. मिशन शिक्षण संवाद शिक्षक स्वाभिमान दिवस सम्मान 2023
11. हमारा आंगन हमारे बच्चे सम्मान 2024
12. मिशन प्रेरणा ज्ञान उत्सव सम्मान 2022
13. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सम्मान 2025
स्वयं की उपलब्धियाँ :-
1. नई गौरव सम्मान 2022
2. काशी कविता मंच उत्कृष्ट साहित्यकार सम्मान
3. काशी कविता मंच उत्कृष्ट लेखन सम्मान
4. मेरठ साहित्य काव्य संगम सम्मान
5. मेरठ साहित्यिक कवि सम्मेलन सम्मान
6. मेरठ साहित्यिक उत्कृष्ट प्रस्तुति सम्मान
7. कर्मयोगी सम्मान परिषदीय साहित्यकार काव्य संगोष्ठी सम्मान
8. मिशन शक्ति राष्ट्रीय वेबीनार सहभागिता सम्मान
मिशन शिक्षण संवाद :-
मिशन शिक्षण संवाद में मेरे अंदर की प्रतिभा को उकेरने का काम किया है। जिसका श्रेय मैं सर्वप्रथम मिशन शिक्षण संवाद से जुड़े सर श्री बबलू सोनी सर को जाता है। उन्होंने ही मुझे सोशल मीडिया के द्वारा मेरे विद्यालय में किये गये काम को देखा। व उन्हें देखकर ही उन्होंने मुझे मिशन शिक्षण संवाद में जोड़ा।
मिशन शिक्षण संवाद में जुड़ने के बाद यहाँ जनपद में कार्य कर रही श्रीमती गीता यादव मैम को जाना। उनका हर रोज विद्यालय के प्रति समर्पण हमें प्रेरित करता रहा है। धीरे-धीरे मिशन से जुड़े अन्य प्रतिभावान शिक्षकों को जानने का मौका मिला। व शिक्षकों ने समय-समय पर प्रोत्साहित किया। मिशन से जुड़ने के बाद यहाँ अपनी प्रतिभा जैसे कहानी लेखन, कविता लेखन, बच्चों के लिए बाल गीत लेखन, व इमेज निर्माण आदि को जानने और सीखने का मौका मिला।
मुझे गर्व है कि मैं आज मिशन से जुड़ी हूँ। बच्चों के लिए बाल गीत लिखती हूँ, और आगे भी मिशन से जुड़े रहने का प्रयास करती रहूँगी। मैं मिशन शिक्षण संवाद की नींव रखने वाले श्री विमल सर की सदा आभारी रहूँगी।
उन्होंने हम सभी शिक्षकों को शिक्षा के क्षेत्र में काम करने के लिए बहुत ही नवाचारी मंच दिया है।
_✏संकलन_
ज्योति कुमारी
*📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
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