नन्हीं गौरैया

नन्हीं गौरैया फुदक-फुदक कर 

जब तुम शोर मचाती हो 

मेरे घर के कोने-कोने में 

तुम खुशियाँ फैलती हो।।


घर के छप्पर में आकर 

तुम सुंदर सा नीड़ बनाती हो 

तिनका-तिनका जोड़कर 

फिर तुम उसे सजाती हो।।


जब करते बच्चे उसमें चीं-चीं

घर में रौनक छा जाती है 

मेरे मन के कोने-कोने में 

बड़ा सुकून पहुँचाती है।।


अब नन्हीं प्यारी गौरैया आँगन में

दाना चुगने नहीं आती हो

देख रहे हैं हम राह तुम्हारी

तुम क्यों नजर नहीं आती हो।।


ओ नन्हीं प्यारी गौरैया 

तुम घर के आँगन में आओ 

तुम बिन है सब सूना-सूना

आकर खुशियाँ फैलाओ।।


रचनाकार

मृदुला वर्मा,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय अमरौधा प्रथम,

विकास खण्ड-अमरौधा,

जनपद-कानपुर देहात।

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