रंगों का त्योहार
रंगों का त्योहार है
खुशियों की भरमार है,
फागुन चैत मिल रहे
महिमा अपरंपार है|
ढोलक, मंजीरे की राग है
सब मिल गाते फाग हैं
झूम रहे होली के मद में
जैसे झूमे रंगीन बाग है
पिचकारी में रंगों की धार है
हो रही गुलाल की बौछार है,
चढ़ेगा रंग रंगों में घुलकर
छा गया सतरंगी बहार है|
गुझिए की मिठास है
पापड़ भी बहुत खास है,
सबका मुँह मीठा हो जाए
यही बस प्रयास है|
कान्हा करते रास है
राधा भी आस -पास है,
अपनों संग खेलो होली
सबके मन उल्लास है|
रचयिता
संगीता गौतम जयाश्री,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐमा,
विकास खण्ड-सरसौल,
जनपद-कानपुर नगर।
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