हर वर्ष, हो हर्ष
ये मेरा नववर्ष है,
ये तेरा नववर्ष है।
नववर्ष एक है,
ये भारतीय नववर्ष है।।
उमगाया नव वर्ष,
हुआ मन में हर्ष।
विभिन्न रंग दृश्य दर्श,
हो जीवन में उत्कर्ष।।
विभिन्न रंग रूप प्रकृति,
सहभागी हो सबकी मति।
नहा धोकर आई प्रकृति,
नित नवीन देखो कृति।।
संदेश देता है नववर्ष,
हर क्षण नवीन होते।
नव- नवीन कार्य होते,
हर पल हम नवीन होते।।
नवीनता का होता स्वागत,
मंगलमय हो सबका आगत।
नया सूरज, नया चंद्रमा,
सुखदाई लक्ष्य में मन रमा।।
विक्रम संवत् 2080 आया,
कितनी ही सौगातें लाया।
सौगातों की पहचान करें,
पूरे अपने अरमान करें।।
नित- नवीन होती धरा,
रत्नों से भरी ये धरा।
नीचे रत्न ऊपर रत्न,
हम सब हों एक मन।।
असीम भंडार रत्न मिला,
अमोलक तन सबको मिला।
स्वयं के रत्न की करें खोज,
जीवन में हो मौज ही मौज।।
रचयिता
प्रतिभा भारद्वाज,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यामिक विद्यालय वीरपुर छबीलगढ़ी,
विकास खण्ड-जवां,
जनपद-अलीगढ़।
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