कविता
नील गगन के पन्ने पर,
आज लिखूँ मैं कविता प्यारी।
दिल की कलम हो हाथ मेरे,
जिसमें हो भावों की स्याही,
रस छंद समाएँ जिसमें सारे,
अलंकारों की छाए खुमारी।
हर दिल को जो छू जाए,
जोश में आए ये दुनिया सारी।
प्रेम भरा हो जिसमें निश्छल,
झूठ कपट की हो लाचारी।
भरे हिलोरें समरसता फिर,
मानवता से करके यारी।
हर मन की पीड़ा हर ले जो,
माँ के आंचल सी हो प्यारी।
साँसों की सरगम की धुन पर,
मदमस्त मगन हो सुकुमारी।
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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