रंग रंगीली होली

 रंग गुलाल से होली खेलो, रंग रंगीली होली है।

धूम मचाओ नाचो- गाओ, रंग बरसाओ होली है।।

-----------------------------------------------------

अहंकार अन्याय प्रतीक, होली  चिता  जलाओ  तुम।

भक्तवत्सल भगवान की जय, जयकारा खूब लगाओ तुम।

भक्तों  की  रक्षा का  उत्सव, खूब  मनाओ  होली  है।

धूम मचाओ नाचो-------------।

--------------

जिन्दा रहे तो अगले वर्ष भी, हिल मिल होली खेलेंगे।

यह वादा है एक-दूजे के, दिलों  को  फिर  से  मेलेंगे।।

भरो प्रेम से  मन की गागर, प्रीति  लुटाओ  होली  है।

धूम मचाओ नाचो-----------------------।।

-----------------------------

होली का त्योहार है व्यापक, अद्भुत और अलौकिक है।

बूढ़ों में आती है जवानी,  हर्ष  का  उत्सव  मौलिक  है।।

कपट त्याग  उल्लास बिखेरो, हँसो  हँसाओ  होली  है।

धूम मचाओ नाचो ----------------------------------।।

----------------------------

गाली बक कर लपटा-झपटी, ऐसे ना अपमान करो।

होली खेलो बड़े प्रेम से, रिश्तों  का  सम्मान  करो।।

हमजोली  को बाँह में भर कर, गले लगालो होली है।

धूम मचाओ नाचो ------------------------------

--------------------

घर घर चूल्हा चढ़ीं कड़ाही, चारहु दिशा सुगन्धित हैं।

उत्सव के उत्साह का कारन, आज अभाव विलोपित है।

एक दूजे के घर जा जा कर, गुझियाँ  खाओ होली है।

धूम मचाओ नाचो--------------

------------------------------

सप्तक तार के पंचम सुर तक, फागें गाओ चौकड़ियाँ।

ध्रुपद धमाल की दूँ न तिहाई, तान आलापों की कड़ियाँ।

भजन लावणी ठुमरी गाओ, और  दहकवा होली  है।।

धूम मचाओ नाचो ---------------


रचयिता

हरीराम गुप्त "निरपेक्ष"
सेवानिवृत्त शिक्षक,
जनपद-हमीरपुर।

Comments

Total Pageviews