रंग रंगीली होली
रंग गुलाल से होली खेलो, रंग रंगीली होली है।
धूम मचाओ नाचो- गाओ, रंग बरसाओ होली है।।
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अहंकार अन्याय प्रतीक, होली चिता जलाओ तुम।
भक्तवत्सल भगवान की जय, जयकारा खूब लगाओ तुम।
भक्तों की रक्षा का उत्सव, खूब मनाओ होली है।
धूम मचाओ नाचो-------------।
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जिन्दा रहे तो अगले वर्ष भी, हिल मिल होली खेलेंगे।
यह वादा है एक-दूजे के, दिलों को फिर से मेलेंगे।।
भरो प्रेम से मन की गागर, प्रीति लुटाओ होली है।
धूम मचाओ नाचो-----------------------।।
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होली का त्योहार है व्यापक, अद्भुत और अलौकिक है।
बूढ़ों में आती है जवानी, हर्ष का उत्सव मौलिक है।।
कपट त्याग उल्लास बिखेरो, हँसो हँसाओ होली है।
धूम मचाओ नाचो ----------------------------------।।
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गाली बक कर लपटा-झपटी, ऐसे ना अपमान करो।
होली खेलो बड़े प्रेम से, रिश्तों का सम्मान करो।।
हमजोली को बाँह में भर कर, गले लगालो होली है।
धूम मचाओ नाचो ------------------------------
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घर घर चूल्हा चढ़ीं कड़ाही, चारहु दिशा सुगन्धित हैं।
उत्सव के उत्साह का कारन, आज अभाव विलोपित है।
एक दूजे के घर जा जा कर, गुझियाँ खाओ होली है।
धूम मचाओ नाचो--------------
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सप्तक तार के पंचम सुर तक, फागें गाओ चौकड़ियाँ।
ध्रुपद धमाल की दूँ न तिहाई, तान आलापों की कड़ियाँ।
भजन लावणी ठुमरी गाओ, और दहकवा होली है।।
धूम मचाओ नाचो ---------------
रचयिता
हरीराम गुप्त "निरपेक्ष"
सेवानिवृत्त शिक्षक,
जनपद-हमीरपुर।
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