शून्य भेदभाव दिवस
जाति, धर्म, लिंग के आधार पर,
भौगोलिक स्थिति पर होते हैं भेदभाव।
धार्मिक व लैंगिक आधार पर,
दण्डात्मक कानून से होते हैं भेदभाव।।
अल्पसंख्यक आबादी वालों संग,
घृणा, हिंसा और होते नस्लीय भेदभाव।
सम्प्रदायवाद के मामले बढ़ रहे,
एड्स पीड़ितों संग होते हैं भेदभाव।।
1 मार्च सन 2014 से, प्रति वर्ष
'शून्य भेदभाव दिवस' मनाया जाता है।
'तितली' है प्रतीक स्वरूप इसके
कानून के समक्ष समानता लाया जाता है।।
सरकारी, गैर सरकारी संगठन करते कार्य
भेदभाव मिटाना ही, है इनका प्रकार्य।
'संयुक्त राष्ट्र' सदस्य देशों द्वारा,
प्रासंगिक नीतियों पर बने, पूर्ण आधार।।
बाल संरक्षण, देखभाल मिले शिक्षा,
सामाजिक सुरक्षा प्रणाली हो अच्छा।
निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएँ, भी मिलें
ऋणों का पुनर्गठन हो और सस्ता।।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
सहायक अध्यापक,
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी,
जनपद-जौनपुर।
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