नारी तुम स्वाभिमान का गहना
नारी तुम स्वाभिमान का गहना,
अपना मान मत खोने देना।
लाख मुश्किलें आयें तब भी,
मंजिल पर आगे बढ़तीं रहना।
नारी तुम स्वाभिमान का गहना -----------
तुम कोमल सी स्नेह नदी,
तुम जीवन देती बढ़तीं रहना।
तुम धीर धरा सी धरने वाली,
खुशियों से जीवन भरतीं रहना।
नारी तुम स्वाभिमान का गहना ----------
तुम कर्मठता से मान बढ़ातीं,
मुश्किल को पी जाती हो।
देखा तुम को कड़ी धूप में,
संघर्षों से लड़ जाती हो।
नारी तुम स्वाभिमान का गहना। -------------
घर-घर जाकर, बरतन पोंछा,
नव निर्मााण की लौ भर लाती हो।
सींच- सींच ममता से झोपड़,
महलों का निर्माण कराती हो।
नारी तुम स्वाभिमान का गहना -------------
नारी तुमको मेरा सौ बार नमन है,
नव संस्कार" दीप" जलाये रखना।
तुम धरती पर नैतिकता से,
मानवता को बनाये रखना।
नारी तुम स्वाभिमान का गहना -------------
रचनाकार
दीपमाला शाक्य दीप,
शिक्षामित्र,
प्राथमिक विद्यालय कल्यानपुर,
विकास खण्ड-छिबरामऊ,
जनपद-कन्नौज।
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