विश्व कविता दिवस
आओ विश्व कविता दिवस मनाएँ
अक्षर-अक्षर शब्द-शब्द मिल
नए-नए गीत की करे रचनाएँ
अपने मन के भावो को दर्शाएँ
लिखना पढ़ना मन को है भाए।।
अलंकार उपमा सबसे श्रृंगारित
ये सब सुंदर कविता के हैं गहने
इसके बिना न बिल्कुल भी भाए।।
मन मे उमंगित विचारों को ये
शब्दो के मोती से है ये पिरोए
कागज कलम दवात सब साथी।।
कवि की कल्पना कवि का सपना ये
दया श्रृंगार करुणा व्यंग्य सब भावों
को अंतर्मन से प्रवाहित करती
कभी मीरा के दोहे में प्रेम बरसाए
कभी विरह रौद्र के गीत ये गाए
कभी प्रकृति सौंदर्य का रस बरसाए
युद्ध क्षेत्र में वीर रस्से सरोबोर होए
तुलसी कबीर के चोपाई दोहे में
भक्ति रस का मंत्र सिखाए।।
रचयिता
माधुरी पौराणिक,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय हस्तिनापुर,
विकास खण्ड-बड़ागाँव,
जनपद-झाँसी।
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