अब भी वैसी होली होगी
अब भी वैसी होली होगी
गाँव में फागुन कैसा होगा,
सब कुछ पहले जैसा होगा
भौजी अब भी बाबा के संग
करती हँसी ठिठोली होगी
अब भी वैसी होली होगी।
चौराहे पर रंग अबीरा
गाते होंगे लोग कबीरा
सखियों के हुड़दंग में,
लगती चंदन रोली होगी।
अब भी वैसी होली होगी।
अब भी आँगन-आँगन खिलते होंगे टेसू?
अब भी गजरों की खुशबू से महके होंगे गेसू?
गलियों और चौराहे पे मस्तानों की टोली होगी।
अब भी वैसी होली होगी?
फागुन की मदमस्त फ़िज़ां में, महक उठी अमराई
बासंती चूनर ओढ़े, धरती ले अंगड़ाई
दुल्हन सी नार-नवेली होगी
अब भी वैसी होली होगी?
रचयिता
कौसर जहाँ,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बड़गहन,
विकास क्षेत्र-पिपरौली,
जनपद-गोरखपुर।
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