श्री राम नवमी

रावण का अहंकार मिटाने,

मर्यादा की सीख सिखाने। 

प्रकट हुए थे प्रभु श्री राम, 

उनको कोटि-कोटि प्रणाम।।


पिता थे राजा दशरथ, 

थीं कौशल्या मैया। 

भरत शत्रुघ्न और लक्ष्मण, 

इनके प्यारे भैया।।


शिव के महाधनुष को तोड़ा, 

सीता जी से नाता जोड़ा। 

कैकई ने माँगे वरदान, 

भरत को राज्य और वन को राम।।


पथराई अहिल्या को तारा, 

अत्याचारी रावण को मारा। 

जानकी संग फिर लौटे राम, 

उनको है कोटि-कोटि प्रणाम।।


रचयिता

हेमलता गुप्ता,

सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मुकंदपुर,
विकास खण्ड-लोधा, 
जनपद-अलीगढ़।



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