हर घर शिक्षा का दीप जले

ज्योतिर्मय कर दें ज्ञान पुंज से,

आगे  हिंदुस्तान   उठे।

हम  बालक  प्रहरी सजग बनें,

नित जन गण मन का गान उठे।


हम मात भारती के पोषक

हाथों में लिए मशाल चले।

हर घर शिक्षा का दीप जले

यह लेकर लक्ष्य विशाल चले।


भर नई चेतना जन-जन में,

कदमों में ले भूचाल चले।

पहनें  बाना केसरिया हम

नित कफन बाँधकर भाल चले।


कर पार सभी बाधाओं को,

जब चलें कदम तूफान उठे।

हम बालक प्रहरी सजग बनें,

नित जन गण मन का गान उठे।


चाहे जितना हो शूल डगर,

हम फिर भी चलते चला करें।

अंधियारी  काली रातों में,

तारों से रोशन  धरा  करें।


हम अनुगामी आदर्शों के,

बाधाओं से क्यों डरा करें?

भारत  के कोने-कोने  में,

शिक्षा की लौ नित जला करे।


चिर लक्ष्य अडिग संघर्ष भरा

पथ से सारे व्यवधान उठें।

हम बालक प्रहरी सजग बनें,

नित जन गण मन का गान उठे।


हम बच्चे अल्हड़ कली फूल सा

जग   सारा   महकाएँगे।

बंजर धरती पर सत्कर्मों से,

सुंदर   सुमन    खिलाएँगे।


जिस धरती पर हैं पले बढ़े,

हम उसका कर्ज चुकाएँगे।

सौगंध  हमें  इस  मिट्टी  की,

हम नाम अमिट कर जाएँगे।


भारत  माता  के  चरणों  में

तन  मन  जीवन ये प्रान उठे।

हम बालक प्रहरी सजग बनें,

नित जन गण मन का गान उठे।


रचयिता

सीमा शुक्ला,

सहायक अध्यापक, 

प्राथमिक विद्यालय जलालपुर माफी,

विकास खण्ड-बीकापुर,

जनपद-अयोध्या।



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